शब्द का अर्थ
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गद :
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पिं० [सं०√गद्(बोलना)+अच्] १. एक प्रकार का विष या जहर। २. बीमारी। रोग। ३. श्रीकृष्ण के छोटे भाई का नाम। ४. राम की सेना का एक बन्दर। ५. एक असुर का नाम। पुं० [अनु०] किसी मुलायम वस्तु पर किसी कड़ी वस्तु के आघात से होनेवाला शब्द। |
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गदका :
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पुं०=गतका। |
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गदकारा :
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वि० [अनु० गद+कार(प्रत्यय)] [स्त्री० गदकारी] १. गुदगुदा और मुलायम। २. मांसल। |
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गदकारी :
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स्त्री० [फा०] चित्रकला में चित्र अंकित करने से पहले स्थान-स्थान पर रंग भरने की क्रिया या भाव। रंगामेजी। |
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गदगद :
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वि०=गद्गद्। |
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गदगदा :
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पुं० [देश०] रत्ती नामक पौधा। |
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गदचाम :
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पुं० [सं० गदचर्म] हाथी का एक रोग। |
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गदन :
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पुं० [सं०√गद्+ल्युट्-अन] १. कथन। २. वर्णन। |
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गदना :
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स० [सं० गदन] १. कहना। बोलना। २. वर्णन करना। |
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गदबदा :
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वि० [अनु०] भरे अथवा दोहरे शरीरवाला। उदाहरण–नंगेतन, गदबदे साँवले, सहज छबीले।–पंत। |
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गदम :
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पुं० [देश०] वह लकड़ी जो नाव को एक बल पर खड़ी करने के लिए उसके पेंदे के नीचे लगाई जाती है। आड़। थाम। |
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गदर :
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पुं० [अ०] शासन को उलटने के लिए होनेवाला सैनिक विद्रोह। पुं० [हिं० गदराना] गदराने की क्रिया या भाव। वि० यथेष्ट मात्रा में सब जगह मिलने वाला। पुं० [हिं० गदकारा] पुष्टि मार्ग के अनुसार एक प्रकार की रूईदार बगलबंदी जो जाड़े में ठाकुर जी को पहनाते हैं। |
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गदरा :
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वि०=गद्दर। |
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गदराना :
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अ० [अनु०] १. जवानी में शरीर के अंगों का भरकर सुन्दर और सुडौल होना। जैसे–गदराया हुआ बदन। २. फलों आदि का पकने पर होना। ३. आँख की कीचड़ से भरना। ४. बहुत या अधिक मात्रा में होना या पाया जाना। |
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गदला :
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वि०=गँदला। |
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गदलाना :
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स० [हिं० गदला] गँदला करना। अ० गँदला होना। |
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गदह :
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पुं०=गधा। |
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गदह पचीसी :
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स्त्री० दे० ‘गधा-पचीसी’। |
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गदहरा :
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पुं० १.=गधा। २=गद्दा। |
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गदहला :
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पुं०=गदहिला। |
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गदहलोह :
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स्त्री० [हिं० गदहा-गधा+लोटना] १. गधों की तरह इधर-उधर लोटने की क्रिया या भाव। २. कुस्ती का एक दाँव या पेंच। ३. दे० गधा लोटन। |
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गदह-हेंचू :
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पुं० दे० गधा हेंचू। |
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गदहा :
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वि० [सं० गद√हा (त्याग)+क्विप्] गद अर्थात् रोग हरनेवाला। पुं० चिकित्सक। वैद्य। पुं० दे० ‘गधा’। |
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गदहिया :
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स्त्री०=गधी। |
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गदहिला :
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पुं० [सं० गर्दभी, पा० गद्रभी प्रा० गद्दही] [स्त्री० गदहिली] १. वह गधा जिस पर ईट, मिट्टी आदि ढोई जाती हैं। २. एक प्रकार का जहरीला कीड़ा। |
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गदांतक :
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पुं० [सं० गद-अंतक,ष० त० ] अश्विनीकुमार। |
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गदांबर :
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पुं० [सं० गद-अंबर,मध्य० स० ] मेघ। |
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गदा :
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स्त्री० [सं० गद+टाप्] १. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र जिसमें लंबे डंडे के आगे मोटा गोला लगा था। २. उक्त आकार की वह चीज जो कसरत या व्यायाम करने के लिए हाथों से उठाकर शरीर के इधर-उधर घुमाई जाती है। लोढ़। पुं० [फा०] १. भिक्षुक। भिखमंगा। २. फकीर। |
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गदाई :
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वि० [फा० गदा-फकीर+ई० (प्रत्यय)] १. तुच्छ। नीच। क्षुद्र। २. रद्दी। वाहियात। स्त्री० भिखमंगा होने की अवस्था या भाव। भिखमंगापन। |
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गदाका :
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पुं० [अनु०] किसी को उठाकर जमीन पर इस प्रकार पटकने की क्रिया जिसमें गद शब्द हों। वि० गदराये हुए सुडौल शरीरवाला। |
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गदागद :
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पुं० [सं० गद्-आ√गम् (गाना)+ड, गदाग√दैप्(शोध करना)+क] अश्विनी कुमार। अ० य० [अनु०] १. गद गद शब्द करते हुए। २. एक के बाद एक। लगातार। (मुख्यतः आघात या प्रहार के लिए) जैसे–गदागद घूँसे लगाना। |
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गदाग्रज :
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पुं० [सं० गद-अग्रज,ष० त० ] गद के बड़े भाई श्रीकृष्ण। |
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गदाग्रणी :
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पुं० [सं० गद-अग्रणी, स० त० ] क्षय या यक्ष्मा नामक रोग। |
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गदाधर :
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वि० [सं० गदा√धृ(धारण करना)+अच्] गदा धारण करनेवाला। पुं०विष्णु जिनके हाथ में गदा रहती है। |
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गदाराति :
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पुं० [सं० गद-अराति, ष० त० ] औषध। दवा। |
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गदाला :
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पुं० [हिं० गद्दा] हाथी की पीट पर कसा जानेवाला गद्दा। |
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गदावारण :
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पुं० [सं०] एक प्रकार का प्राचीन बाजा जिसमें बजाने के लिए तार लगे रहते थे। |
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गदि :
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स्त्री० [सं०√गद् (बोलना)+इन्] उक्ति। कथन। |
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गदित :
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भू०कृ० [सं० गद+क्त] कहा हुआ। उक्त। कथित। |
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गदी(दिन्) :
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वि० [सं० गद+इनि] [स्त्री० गदिनी] १. रोगी। बीमार। २. [गदा+इनि] जो गदा लिए हो। गदाधारी। |
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गदेल :
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पुं० =गदेला। |
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गदेला :
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पुं० [हिं० गद्दा] [स्त्री० अल्पा० गदेली] १. रूई आदि से भरा हुआ बहुत मोटा गद्दा। २. टाट का वह मोटा गद्दा जो हाथी की पीठ पर बिछाया जाता है। पुं० [?] छोटा लड़का। बालक। |
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गदेली :
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स्त्री०=गदोली (हथेली)। |
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गदोरी :
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स्त्री० [हिं० गद्दी] हथेली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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गद्गद :
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वि.[सं०√गदगद(स्पष्ट न बोलना)+अच्] १.बहुत अधिक प्रेम, श्रद्धा, हर्ष आदि आवेग से इतना भरा हुआ कि अपने आपको भूल जाए और स्पष्ट बोल न सके। २. (कंठ या वाणी) जो उक्त आवेग के कारण अवरूद्ध हो। ३. बहुत अधिक प्रसन्न या हर्षित। पुं० [सं०] एक प्रकार का रोग जिसमें रोगी शब्दों का स्पष्ट उच्चारण नहीं कर सकता अथवा एक एक अक्षर का रुक-रुककर और कई बार में उच्चारण करता है। हकलाने का रोग। |
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गदगदिका :
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स्त्री० [सं० गदगद+कन्-टाप्,इत्व] हकलाने की क्रिया भाव या रोग। हकलाहट। |
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गद्द :
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पुं० [अनु०] १. मुलायम चीज या जगह पर भारी के मारने से होनेवाला शब्द। मुहावरा–(किसी को) गद्द मारना=टोटका या टोना करके किसी पर ऐसा आघात करना कि वह वश में हो जाए। २. अधिक भोजन करने अथवा गरिष्ठ वस्तुएँ खाने पर होनेवाला पेट का भारीपन। मुहावरा–(किसी चीज का) गद्द करना= कोई ऐसी वस्तु खा लेना जो जल्दी पच न सकती हो और जिसके फलस्वरूप पेट भारी हो जाता हो। वि० बेवकूफ। मूर्ख। |
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गद्दम :
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पुं० [देश०] एक प्रकार की छोटी चिड़िया। |
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गद्दर :
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वि० [अनु० गद्द से] १. जो अच्छी तरह पका न हो। अधपका। २. गदराया हुआ। पुं० १.=गदा। २. गद्दार। |
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गद्दा :
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पुं० [हिं० गद्द से अनु०] १.बिछाने की मोटी रूईदार भारी तोशक। २. वह बिछावन जो हाथी की पीठ पर हौदा कसने से पहले रखकर बाँधा जाता है। ३.घास, रूई आदि मुलायम वस्तुओं का बोझ। ४. किसी मुलायम चीज की मार या ठोकर। |
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गद्दार :
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वि० [अ०] जो अपने धर्म, राज्य, शासन, संस्था आदि के विरुद्ध होकर उसे हानि पहुँचाता अथवा पहुँचाना चाहता हो। गदर करनेवाला। बागी। विद्रोही। |
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गद्दारी :
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स्त्री० [अ०] गद्दार होने की अवस्था या भाव। |
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गद्दी :
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स्त्री० [हिं० गद्दा का स्त्री० अल्पा०रूप] १.वह छोटा गद्दा जो ऊँट, घोड़े आदि की पीठ पर जीन के नीचे बिछाया जाता है। २. वह छोटा गद्दा जिस पर बैठते या लेटते हैं। ३. वह स्थान जहाँ पर गद्दी आदि बिछाकर बैठकर कोई काम या व्यवसाय किया जाए। जैसे–कोठीवाल या महाजन की गद्दी। ४. किसी स्थान पर बैठने अथवा किसी पद को सुशोभित करने की अवस्था या भाव। जैसे–(क) राजा की गद्दी। (ख) बाप-दादा की गद्दी। ५. किसी राजवंश की पीढी या आचार्य को शिष्य-परम्परा। जैसे–(क) चार गद्दी के बाद इस वंश में कोई नही रहेगा। (ख) यह अमुख गुरू की चौथी गद्दी है। ६. कपड़े आदि की कई परतों की वह मुलायम तह जो किसी चीज के ऊपर या नीचे उसे आघात, झटके आदि से बचाने के लिए रखी जाती है। ७. हाथ या पैर की हथेली। मुहावरा–गद्दी लगाना=घोड़े की हथेली या कुहनी से मलना। ८. एक प्रकार का मिट्टी का गोल बर्तन जिसमें छीपी रंग रखकर छपाई का काम करते है। पुं० [सं० गब्दिक] १. चंबा के पास का एक पहाड़ी प्रदेश। २. उक्त प्रदेश के निवासी जो प्रायः भेड़-बकरियाँ पालकर जीविका चलाते हैं। ३. गड़ेरिया। |
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गद्दीनशीन :
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वि० [हिं० गद्दी+फा० नशीन] [भाव० गद्दीनशीनी] १. जो राजगद्दी पर बैठा हो। २. जो किसी की गद्दी पर आकर बैठा हो अर्थात् उत्तराधिकारी। |
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गद्य :
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पुं० [सं०√गद् (बोलना)+यत्] १. बोल चाल की भाषा में लिखने का वह लेखन प्रकार जिसमें अलंकार, मात्रा, वर्ण, लय आदि के बन्धन का विचार नही होता। वचनिका। पद्य का विपर्याय। (प्रोज) २. ऐसी सीधी-सादी बोली या भाषा जिसमें किसी प्रकार की बनावट न हो। |
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गद्य-काव्य :
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पुं० [कर्म० स० ] वह गद्य जिसमें कुछ भाव या भावनाएँ ऐसी कवित्वपूर्ण सुन्दरता से व्यक्त की गई हों कि उसमें काव्य की सी संवेदनशीलता तथा सरसता आ जाय। |
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गद्याणक :
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पुं० [सं० गद्याण+कन्] कलिंग देश का एक प्राचीन मान। |
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गद्यात्मक :
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वि० [सं० गद्य-आत्मन्, ब०स० कप्] [स्त्री० गद्यत्मिका] १.गद्य के रूप में लिखा हुआ। २. गद्य-संबंधी। |
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