शब्द का अर्थ
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क्षुर :
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पुं० [सं०√क्षुर् (काटना)+क] १. प्राचीनकाल में तीरों की अगली नोक पर लगाई जानेवाली धारदार छुरी या हुक (बार्ब)। २. बाल मूड़ने का प्रसिद्ध उपकरण छुरा। ३. पशुओं का खुर। ४. गोखरू। |
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क्षुरक :
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पुं० [सं० क्षुर+कन्] छोटा क्षुर या छुरा (बाल मूँड़ने का)। |
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क्षुर-धान :
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पुं० [ष० त०] वह थैली या डिबिया, जिसमें नाई छुरा रखते हैं। किस्बत। |
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क्षुर-धार :
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पुं० [ब० स०] १. एक नरक का नाम। २. एक प्रकार का बाण। वि० तीक्ष्ण या तेज धारवाला। चोखा। |
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क्षुर-पत्र :
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पुं० [ब० स०] [स्त्री० क्षुरपत्रा, क्षुरपत्री] १. छुरे की तरह तेज धारवाला पत्ता। २. शर नामक तृण। ३. क्षुरधार बाण। |
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क्षुर-पत्रा :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] पालक (साग)। |
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क्षुर-पत्रिका :
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स्त्री० [ब० स०, कप्—टाप्, इत्व] पालकी। पालक (साग)। |
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क्षुर-पत्री :
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स्त्री० [ब० स०, ङीष्] बच। |
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क्षुरप्र :
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वि० [सं० क्षुर√पृ (हिंसा)+क] जिस की धार छुरे का समान तेज हो। पुं० १. तेज धारवाली कोई वस्तु। जैसे छुरा, छुरी आदि। २. खुरपा। |
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क्षुरा-भांड :
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पुं० [ष० त०] दे० ‘क्षुरधान’। |
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क्षुरिका :
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स्त्री० [सं० क्षुर+ङीष्+कन्—टाप्, ह्रस्व] १. छुरी। चाकू। २. पालक नामक साग। ३. एक यजुर्वेदीय उपनिषद्। |
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क्षुरी (रिन्) :
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पुं० [सं० क्षुर+इनि] [स्त्री० क्षुरिणी] १. नाई। हज्जाम। २. खुरवाला पशु। |
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