| शब्द का अर्थ | 
					
				| कौमार					 : | पुं० [सं० कुमार+अञ्] [सं० कौमारी] १. जन्म से पाँच वर्ष तक की अवस्था। कुमार। बालक। २. एक प्रकार की सृष्टि जो सनत्कुमार की रची हुई कही गई है। | 
			
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				| कौमारक					 : | वि० पुं० =कौमारिक। | 
			
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				| कौमार-बंधकी					 : | स्त्री० [ष० त०] वेश्या। | 
			
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				| कौमार-भृत्य					 : | पुं० [ष० त०] बालकों के पालन-पोषण और चिकित्सा संबंधी आयु्र्वेद-शास्त्र। | 
			
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				| कौमार-व्रत					 : | पुं० [ष० त०] सदा कुमार रहने अर्थात् विवाह न करने का व्रत या प्रतिज्ञा। | 
			
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				| कौमारिक					 : | पुं० [सं० कुमार+ठक्-इक] संपूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। वि० कुमार संबंधी। कुमार का। | 
			
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				| कौमारिकेय					 : | पुं० [सं० कुमारिका+ढक्-एय] किसी कुमारी (अर्थात् अविवाहित) स्त्री के गर्भ से उत्पन्न व्यक्ति या संतान। कानीन। | 
			
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				| कौमारी					 : | स्त्री० [सं० कौमार+ङीष्] १. पहली विवाहित स्त्री,०जिससे कुमार-अवस्था में विवाह हुआ हो। २. पार्वती। ३. कार्तिकेय की सात मातृकाओं में एक । ४. वाराही कंद। गेंठी। | 
			
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