शब्द का अर्थ
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कुबंड :
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पुं० [सं० कोदंड] धनुष। वि० [हिं० कूबड़] टूटे या विकृत अंगोंवाला । विकलांग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुब :
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पु०=कूबड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुबग :
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पुं० [?] गिलहरी की तरह का एक प्रकार का छोटा जंतु जिसके शरीर पर चित्तियाँ होती है। |
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कुबज :
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वि०=कुब्ज। (टेढ़ा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुबजा :
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स्त्री०=कुब्जा। वि० १. =कुब्ज (टेढ़ा) २. =कुबड़ा। |
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कुबड़ा :
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पुं० [सं० कुब्ज] [स्त्री० कुबड़ी] ऐसा व्यक्ति जिसकी पीठ आगे की ओर झुकी हुई हो। वि० झुका हुआ। टेढ़ा। वक्र। उदाहरण—चंद दूबरो कूबरो तऊ नखत तें बाढ़ि।—रहीम। |
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कुबड़ापन :
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पुं० [हिं० कुबड़ा+पन (प्रत्यय)] कुबड़े होने की अवस्था या भाव। |
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कुबड़ी :
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स्त्री० [हिं० कुबड़ा] १. ऐसी स्त्री जिसकी कमर आगे की ओर झुकी हो। २. ऐसी छड़ी जिसका ऊपरी भाग कुछ झुका हुआ हो। वि० टेढ़ी। वक्र। |
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कुबत :
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स्त्री० [सं० कु+हिं० बात] १. अनुचित, निदंनीय या बुरी बात। २. निन्दा। ३. बुरा आचरण या चाल-चलन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुबरी :
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स्त्री० १. =कुबड़ी। २. =कुब्जा। |
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कुबलयापीड़ :
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पुं० =कुबलयापीड़। |
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कुबली :
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स्त्री० [सं० कुवलय-भूमंडल (लाक्षणिक अर्थ में गोल)] गेंद की तरह गोल लपेटची हुई चीज। गोला। |
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कुबहा :
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वि० [हिं० कूबड़] १. (व्यक्ति) जिसकी पीठ पर कूबड़ हो। २. (पद्धार्थ) टेढ़ा। वक्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुबाक :
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पुं० [सं० कुवाक्य] १. कुवचन। गाली। २. शाप। ३. अशुभ या बुरी बात।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुबानि :
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स्त्री० [सं० कु+हिं० बान] अनुचित या बुरी आदत। |
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कुबानी :
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स्त्री० [सं० कु+बानी (वाणिज्य) बुरा वाणिज्य] दूषित या बुरा व्यवसाय। स्त्री० [सं० कु+वाणी] मुँह से निकली हुई अनुचित, अशुभ या बुरी बात। |
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कुबासन :
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स्त्री०=कुवासन। |
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कुबिचार :
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वि०=कुविचार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुबिचारी :
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वि०=कुविचारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुबिजा :
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स्त्री०=कुब्जा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुबुद :
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पुं० [फा०-कबूद=चितकबरा] एक प्रकार का बगला। |
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कुबेर :
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पुं० =कुबेर। |
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कुबेला :
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स्त्री० [सं० कुवेला] १. अनुपयुक्त या बुरा समय। २. दुर्दिन। |
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कुबोल :
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पुं० [सं० कु+हिं० बोल] किसी को या किसी से संबंध में कही जानेवाली अनुचित, अशुभ या बुरा बात। बुरा वचन। |
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कुबोलना :
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पुं० [हिं० कुबोल] [स्त्री० कुबोलिनी] अनचुति, अशुभ या बुरी बातें कहने या बोलने वाला। कुभाषी। |
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कुब्ज :
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वि० [सं० कु√उब्ज् (सीधा करना)+अच्] [स्त्री० कुब्जा] १. जिसकी पीठ झुक गई हो या टोढ़ी हो। कुबड़ा। २. टेढ़ा। वक्र। पुं० एक रोग जिसमें पीठ कुछ टेढ़ी होकर आगे की ओर झुक जाती है। |
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कुब्ज-कंठ :
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पुं० [ब० स०] एक प्रकार का सन्निपात जिसमें रोगी के गले में पानी नहीं उतरता। |
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कुब्जक :
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पुं० [सं० कु√उब्ज्+ण्वुल्-अक] मालती। वि०=कुबड़ा। |
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कुब्जा :
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स्त्री० [सं० कुब्ज+टाप्०] १. कुबड़ी स्त्री। २. कंस की एक कुबड़ी दासी जो श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी। |
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कुब्जिका :
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स्त्री० [सं० कुब्जक+टाप्, इत्व] १. आठ वर्ष की लड़की। २. दुर्गा का एक नाम। |
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कुब्बा :
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पुं० [हिं० कुबड़ा] [स्त्री० कुब्बी] कूबड़। डिल्ला। वि० १. टेढ़ा। २. कुबड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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