शब्द का अर्थ
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उपासंग :
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पुं० [सं० उप-आ√सञ्ज् (मिलना)+घञ्] १. निकटता। सामीप्य। २. तूणीर। तरकश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपास :
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पुं०=उपवास।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपासक :
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पुं० [सं० उप√आस् (बैठाना)+ण्वुल्-अक] [स्त्री० उपासिका] १. वह जो उपासना या पूजन करता हो। २. भक्त। वि० [हिं० उपवास से] उपवास करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपासन :
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पुं० [सं० उप√आस्+ल्युट-अन] १. किसी के पास बैठना या आसन ग्रहण करना। २. उपासना करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपासना :
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स्त्री० [सं० उप√आस्+युच्-अन-टाप्] १. किसी के पास बैठना। २. ईश्वर, देवता आदि की मूर्ति के पास बैठकर किया जानेवाला आध्यात्मिक चिन्तन और पूजन। ईश्वर या देवता को प्रसन्न करने के लिए किया जानेवाला आराधन। ३. लाक्षणिक अर्थ में किसी वस्तु में होनेवाली अत्यधिक आसक्ति अथवा उसी में बराबर लगे रहने की भावना। जैसे—(क) धन या शक्ति की उपासना। (ख) मद्य, मांस आदि की उपासना। स० उपासना (आराधना, ध्यान और पूजन) करना। अ० [सं० उपवास] उपवास करना। निराहार रहना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपासनीय :
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वि० [सं० उप√आस्+अनीयर] १. जिसकी उपासना करना आवश्यक या उचित हो। २. पूजनीय। पूज्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपासा :
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स्त्री० [सं० उप√आस्+अ-टाप्] उपासना। वि० [सं० उपवास] [स्त्री० उपासी] १. जिसने उपवास किया हो। २. जो भोजन न मिलने के कारण भूखा रहता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपासित :
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भू० कृ० [सं० उप√आस्+क्त] जिसकी उपासना की गई हो। पुं० वह जो उपासना करता हो। उपासक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपासी (सिन्) :
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पुं० [सं० उप√आस्+णिनि] =उपासक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपास्तमन :
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पुं० [सं० उप-अस्तमन, प्रा० स०] १. सूर्य का अस्त होना। २. दे० ‘अस्तमन’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपास्ति :
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स्त्री० [सं० उप√आस्+क्तिन्] =उपासना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपास्त्र :
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पुं० [सं० उप-अस्त्र, अत्या०स०] छोटा, साधारण या हलका अस्त्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उपास्य :
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वि० [सं० उप√आस्+ण्यत्] १. जिसकी उपासना की जाती हो। २. जो उपासना किये जाने के योग्य हो। जिसकी उपासना करना आवश्यक या उचित हो। |
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समानार्थी शब्द-
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उपास्य-देव :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वह देवता जिसकी उपासना कोई करता हो। इष्ट-देव। |
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उपासंग :
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पुं० [सं० उप-आ√सञ्ज् (मिलना)+घञ्] १. निकटता। सामीप्य। २. तूणीर। तरकश। |
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उपास :
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पुं०=उपवास।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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उपासक :
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पुं० [सं० उप√आस् (बैठाना)+ण्वुल्-अक] [स्त्री० उपासिका] १. वह जो उपासना या पूजन करता हो। २. भक्त। वि० [हिं० उपवास से] उपवास करनेवाला। |
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उपासन :
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पुं० [सं० उप√आस्+ल्युट-अन] १. किसी के पास बैठना या आसन ग्रहण करना। २. उपासना करना। |
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उपासना :
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स्त्री० [सं० उप√आस्+युच्-अन-टाप्] १. किसी के पास बैठना। २. ईश्वर, देवता आदि की मूर्ति के पास बैठकर किया जानेवाला आध्यात्मिक चिन्तन और पूजन। ईश्वर या देवता को प्रसन्न करने के लिए किया जानेवाला आराधन। ३. लाक्षणिक अर्थ में किसी वस्तु में होनेवाली अत्यधिक आसक्ति अथवा उसी में बराबर लगे रहने की भावना। जैसे—(क) धन या शक्ति की उपासना। (ख) मद्य, मांस आदि की उपासना। स० उपासना (आराधना, ध्यान और पूजन) करना। अ० [सं० उपवास] उपवास करना। निराहार रहना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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उपासनीय :
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वि० [सं० उप√आस्+अनीयर] १. जिसकी उपासना करना आवश्यक या उचित हो। २. पूजनीय। पूज्य। |
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उपासा :
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स्त्री० [सं० उप√आस्+अ-टाप्] उपासना। वि० [सं० उपवास] [स्त्री० उपासी] १. जिसने उपवास किया हो। २. जो भोजन न मिलने के कारण भूखा रहता हो। |
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उपासित :
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भू० कृ० [सं० उप√आस्+क्त] जिसकी उपासना की गई हो। पुं० वह जो उपासना करता हो। उपासक। |
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उपासी (सिन्) :
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पुं० [सं० उप√आस्+णिनि] =उपासक। |
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उपास्तमन :
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पुं० [सं० उप-अस्तमन, प्रा० स०] १. सूर्य का अस्त होना। २. दे० ‘अस्तमन’। |
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उपास्ति :
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स्त्री० [सं० उप√आस्+क्तिन्] =उपासना। |
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उपास्त्र :
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पुं० [सं० उप-अस्त्र, अत्या०स०] छोटा, साधारण या हलका अस्त्र। |
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उपास्य :
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वि० [सं० उप√आस्+ण्यत्] १. जिसकी उपासना की जाती हो। २. जो उपासना किये जाने के योग्य हो। जिसकी उपासना करना आवश्यक या उचित हो। |
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उपास्य-देव :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वह देवता जिसकी उपासना कोई करता हो। इष्ट-देव। |
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