शब्द का अर्थ
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आति :
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स्त्री० [सं० √अत्+इण्] एक प्रकार का पक्षी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
आतिथेय :
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पुं० [सं० अतिथि+ढक-एय] १. अतिथि सत्कार की सामग्री। २. वह जो अच्छी तरह से अतिथियों का स्वागत करता हो। ३. अतिथि के रूप में किसी को अपने यहाँ ठहरानेवाला। मेजबान। (होस्ट) वि० [सं० ] १. अतिथि संबंधी। २. अतिथियों के लिए उपयुक्त या योग्य। |
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आतिथ्य :
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पुं० [सं० अतिथि+ञ्य] १. अतिथि होने की अवस्था या भाव। २. अतिथि का होनेवाला स्वागत और सत्कार। मेहमानदारी। |
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आतिथ्य-सत्कार :
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पुं० [सं० कर्म०स०] घर आये हुए अतिथि का स्वागत तथा उसकी सेवा तथा सत्कार करना। |
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आतिदेशिक :
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वि० [सं० अतिदेश+ठक्-इक] अतिदेश संबंधी। |
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आतिपात्य :
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वि० [सं० अतिपात+ष्यञ्] अतिपात या हिंसा से संबंध रखनेवाला। |
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आतिपात्य-शांति :
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स्त्री० [सं० ष० त०] वह धार्मिक कृत्य जो अनजान में नित्य होनेवाली हिंसा या अतिपात के पापों से छूटने के लिए किया जाता है। |
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आतिवाहिक :
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वि० [सं० अतिवाह+ठक्-इक] १. अतिवाह-संबंधी। २. आत्मा के एक शरीर से निकलने पर उसे दूसरे शरीर में ले जानेवाला। (माध्यम)। पुं० १. मृत्यु के बाद प्राप्त होनेवाला वह लिंग शरीर जिसे धारणकर जीव दूसरे लोक में जाता है। २. उपनिषदों के अनुसार वे देवता जो आत्मा के एक शरीर से दूसरे शरीर में पहुँचाते हैं। ३. पाताल का निवासी। |
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आतिश :
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स्त्री० [फा०] १. अग्नि। आग। २. बहुत अधिक गरमी या सहज में और चतुरता से कर लेता हो। ३. कोप। क्रोध। गुस्सा। वि० १. बहुत गरम। २. बहुत उग्र या तीव्र। |
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आतिशखाना :
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पुं० [फा०] १. कमरे में वह स्थान जहाँ उसे गरम करने के लिए आग रखी जाती है। २. पारसियों का अग्नि-मंदिर। |
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आतिशदान :
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पुं० [फा०] १. आग रखने का पात्र। अँगीठी। २. दे० ‘अतिशखाना’। |
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आतिशपरस्त :
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पुं० [फा०] १. अग्नि की पूजा करनेवाला व्यक्ति। २. पारसी। |
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आतिशबाज :
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पुं० [फा०] आतशदबाजी बनाने तथा छोड़नेवाला। |
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आतिशबाजी :
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स्त्री० [फा०] बारूद, गंधक, शीरे आदि के योग से बनी हुई चीजें जिनके जलने पर रंग बिरंगी चिनगारियाँ निकलती है। अग्निकीड़ा। |
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आतिशयिक :
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वि० [सं० अतिशय+ठक्-इक] १. अतिशय-संबंधी। २. बहुत अधिक। अतिशय। |
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आतिशय्य :
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पुं० [सं० अतिशय+ष्यञ्] अतिशय होने की अवस्था या भाव। |
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आतिशी :
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वि० [फा० आतशी] १. आतश या आग से संबंध रखनेवाला। अग्नि संबंधी। २. आग की लपट जैसा लाल। जैसे—आतिशी रंग। ३. अग्नि उत्पन्न करनेवाला। जैसे—आतिशी शीशा। ४. जो आग में रखने पर भी न टूटे या न जले। पुं० कुछ बादामी रंगत लिए हुए एक प्रकार का लाल रंग। (फायररेड) |
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आतिशी शीशा :
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पुं० [फा०] एक प्रकार का शीशा जिसमें से सूर्य की किरणें किसी एक बिंदु से होकर निकलती तथा अग्नि उत्पन्न करती है। |
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