| शब्द का अर्थ | 
					
				| अँतरा					 : | पुं० [सं० अंतर] १. बीच का अवकाश। अंतर। २. अंतराल। ३. कोना। पद— अँतरे-खोंतरे=(क) इधर-उधर या किसी कोने में। (ख) कभी-कभी। ४. एक-एक दिन के अंतर पर आने वाला ज्वर। पारी का बुखार। वि० बीच में एक छोड़कर दूसरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| अंतरा					 : | पुं० [सं० अंतर] किसी गीत के पहले पद या टेक को छोड़कर दूसरा पद या चरण। (पहला पद या चरण स्थायी कहलाता है)। क्रि० वि० [सं० अन्तर्√ इ (गति) +डा] १. बीच या मध्य में। २. निकट, पास। ३. अतिरिक्त। सिवा। ४. अलग। पृथक्। ५. बिना। बगैर। | 
			
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				| अंतराकाश					 : | पुं० [सं० अंतर-आकाश, मध्य० स०] १. बीच में पड़ने वाला खाली स्थान। २. मनुष्य के हृदय में रहने वाला ब्रह्य। | 
			
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				| अंतरागम					 : | पुं० [सं० अंतर्-आगम, स० त०] बाहर से अधिक मात्रा में आकर अन्दर भरना। (इनफ्लक्स)। | 
			
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				| अंतरागार					 : | पुं० [सं० अन्तर्-आगार, मध्य० स०] किसी बड़े भवन का भीतरी भाग। | 
			
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				| अंतराणुक					 : | वि० =अंतर-आणविक। | 
			
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				| अंतरात्मा (त्मन्)					 : | स्त्री० [सं० अंतर्-आत्मन्, कर्म० स०] [वि० अंतरात्मिक] १. जीवात्मा। २. जान। प्राण। ३. अंतःकरण। ४. किसी बात या विषय का भीतरी या मूल तत्त्व। (स्परिट)। | 
			
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				| अँतराना					 : | स० [सं० अंतर] १. बीच में अंतर या अवकाश उपस्थित करना। बीच में खाली जगह छोड़ना। २. दूर या पृथक करना। ३. ठीक अन्दर की ओर ले जाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| अंतराय					 : | पुं० [सं० अंतर√ अय् (गति) +अच्] १. बाधा। विघ्न। रुकावट। २. ज्ञान की प्राप्ति, योग की सिद्धि आदि में बाधक होने वाली बात। ३. जैन दर्शन में नौ मूल कर्मों में से एक। | 
			
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				| अंतरायण					 : | पुं० [सं० अंतर अय्+णिच्+ल्युट्-अन] १. युद्ध के समय युद्ध-रत देशों के सैनिकों, जहाजों आदि का तटस्थ देश की सीमा में जाने पर निरस्त्री०करण करके रोक रखा जाना। २. राज्य या शासन द्वारा किसी व्यक्ति को उसके घर या किसी स्थान में पहरे-चौकी में इस प्रकार रखा जाना कि वह कहीं आ न जा सके। नजरबंदी (इन्टर्नमेंट) | 
			
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				| अंतराल					 : | पुं० [सं० अंतर-आ√रा (दान)+क, लत्व] १. दो रेखाओं बिन्दुओं आदि के बीच में पड़ने वाला अवकाश, विस्तार या स्थान। बीच की जगह, समय आदि। २. एक सिरे पर मिली दो रेखाओं के बीच का स्थान। | 
			
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				| अंतराल-दिशा					 : | स्त्री० [ष० त०] दो दिशाओं के बीच की दिशा। विदिशा। | 
			
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				| अंतरालन					 : | पुं० [सं० अंतराल+णिच्+ल्युट्-अन्] दो चिन्ह्नों, वस्तुओं आदि के बीच में आवश्यक या उचित अंतर स्थापित करना। दो या कई चीजों के बीच में खाली जगह छोड़ना। (स्पेसिंग) | 
			
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				| अंतराल-राज्य					 : | पुं० [मध्य० स०]=अन्तःस्थ राज्य। | 
			
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				| अंतरावरोधन					 : | पुं० [सं० अंतर-अवरोदन, मध्य स०] [वि० अंतरावरूद्ध, भू० कृ० अंतरावरोधित] एक जगह से दूसरी जगह जाने वाली चीज को बीच में पकड़कर रोक लेना। (इन्टरसेप्शन) | 
			
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				| अंतरावरोधित					 : | भू० कृ० [सं० अंतर-अवरोध, कर्म० स०+णिच्+क्त] जो चलने या जाने के समय बीच में पकड़ या रोक लिया गया हो। (इन्टरसेप्टेड) | 
			
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