गीता प्रेस, गोरखपुर >> साधन और साध्य साधन और साध्यस्वामी रामसुखदास
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प्रस्तुत है साधन और साध्य...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
नम्र निवेदन
परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल में गीताभवन,
स्वर्गाश्रम (ऋषिकेश)—में सत्संग के लिये पधारते हैं। यहाँ विभिन्न
स्थानों से आकर एकत्र हुए साधकगण समय-समय पर अपनी समस्याएँ, शंकाएँ आपके
सामने रखा करते हैं और आप उनका समुचित सन्तोषजनक समाधान करके उनका
मार्गदर्शन करते हैं।
लगभग दो वर्षों से यहाँ ‘करणनिरपेक्ष साधन’ के विषय में अनेक विचार एवं प्रश्नोत्तर हुए हैं। इसे देखते हुए आपने इस विषय पर एक स्वतन्त्र पुस्तक लिखवानें का विचार किया, जिससे साधकगण इस मार्मिक विषय को सरलता से समझ सकें और इससे लाभ उठा सके। अपने विषय की यह एक अनूठी पुस्तक है। विवेकप्रधान साधन की ऐसी पुस्तक अभी तक हमारी दृष्टि में नहीं आयी ! अतः पाठकों को इसे विशेष ध्यान से पढ़ना चाहिये।
इस पुस्तक में कुछ बातों की पुनरावृत्ति भी हुई है; परन्तु समझाने की दृष्टि से इस प्रकार की पुनरावृत्ति का होना दोष नहीं है। उपनिषदों में भी ‘तत्त्वमसि’ —इस उपदेश की नौ बार पुनरावृत्ति हुई है। इसीलिये ब्रह्मसूत्र में आया है—‘आवृत्तिरसकृदुपदेशात्’ (4/1/1)।
पाठकों से विनम्र प्रार्थना है कि केवल तत्त्वप्राप्ति के उद्देश्य से इस पुस्तक का अध्ययन करें। इसके साथ-साथ वे परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज की अन्य पुस्तकें—‘सहज साधना’, ‘नित्ययोग की प्राप्ति’, ‘वासुदेवः सर्वम्’ आदि का भी अध्ययन करें और लाभ उठायें।
लगभग दो वर्षों से यहाँ ‘करणनिरपेक्ष साधन’ के विषय में अनेक विचार एवं प्रश्नोत्तर हुए हैं। इसे देखते हुए आपने इस विषय पर एक स्वतन्त्र पुस्तक लिखवानें का विचार किया, जिससे साधकगण इस मार्मिक विषय को सरलता से समझ सकें और इससे लाभ उठा सके। अपने विषय की यह एक अनूठी पुस्तक है। विवेकप्रधान साधन की ऐसी पुस्तक अभी तक हमारी दृष्टि में नहीं आयी ! अतः पाठकों को इसे विशेष ध्यान से पढ़ना चाहिये।
इस पुस्तक में कुछ बातों की पुनरावृत्ति भी हुई है; परन्तु समझाने की दृष्टि से इस प्रकार की पुनरावृत्ति का होना दोष नहीं है। उपनिषदों में भी ‘तत्त्वमसि’ —इस उपदेश की नौ बार पुनरावृत्ति हुई है। इसीलिये ब्रह्मसूत्र में आया है—‘आवृत्तिरसकृदुपदेशात्’ (4/1/1)।
पाठकों से विनम्र प्रार्थना है कि केवल तत्त्वप्राप्ति के उद्देश्य से इस पुस्तक का अध्ययन करें। इसके साथ-साथ वे परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज की अन्य पुस्तकें—‘सहज साधना’, ‘नित्ययोग की प्राप्ति’, ‘वासुदेवः सर्वम्’ आदि का भी अध्ययन करें और लाभ उठायें।
-प्रकाशक
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