गीता प्रेस, गोरखपुर >> उपदेशप्रद कहानियाँ उपदेशप्रद कहानियाँजयदयाल गोयन्दका
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इस पुस्तक में शिक्षाप्रद और उपदेशात्मक छोटी-बड़ी कहानियाँ रोचक होने के साथ ही साथ पारलौकिक उन्नति में सहायक है।
प्रस्तुत हैं इसी पुस्तक के कुछ अंश
।।श्रीहरि:।।
निवेदन
उपदेशप्रद बारह कहानियों का यह संकलन ब्रह्मलीन परमश्रद्धेय श्रीजयदयालजी
गोयन्दका (आप-सबके सुपरिचित आध्यात्मिक विचारक एवं महापुरुष) द्वारा लिखित
है। श्रीगोयन्दकाजी के पुराने लेखों से संकलित की गयी ये शिक्षाप्रद और
उपदेशात्मक छोटी-बड़ी कथाएँ रोचक होने के साथ-साथ लौकिक एवं पारलौकिक
उन्नति में बड़ी ही सहायक हैं। सरल, सुबोध भाषा में लिखी हुई ये
कहानियाँ-ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, सेवा, परोपकार, ईश्वर-विश्वास और
भगवद्भक्ति का उपदेश (प्रेरणा) देनेवाली होने से सभी आयु-वर्ग के पाठकों
के लिये जीवनोपयोगी एवं कल्याणकारी मार्ग-दर्शक सिद्ध हो सकती हैं।
इन कहानियों की सार्वजनिक उपयोगिता और महत्त्व के विचार से इन्हें जनहित में प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है। सभी पाठकों-विशेषत: परमार्थ-पथ के पथिकों और जिज्ञासुओं से हमारा यह विनम्र अनुरोध है कि वे इसकी उत्तम पठनीय सामग्री को एक बार अवश्य पढ़े, और दूसरों को पढ़ने के लिये भी प्रेरित करें। यह आशा की जाती है कि सर्वहितकारी और परम उपादेय पुस्तक से अधिकाधिक सज्जन विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।
इन कहानियों की सार्वजनिक उपयोगिता और महत्त्व के विचार से इन्हें जनहित में प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है। सभी पाठकों-विशेषत: परमार्थ-पथ के पथिकों और जिज्ञासुओं से हमारा यह विनम्र अनुरोध है कि वे इसकी उत्तम पठनीय सामग्री को एक बार अवश्य पढ़े, और दूसरों को पढ़ने के लिये भी प्रेरित करें। यह आशा की जाती है कि सर्वहितकारी और परम उपादेय पुस्तक से अधिकाधिक सज्जन विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।
-प्रकाशक
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