नई पुस्तकें >> जननायक हो चि मिन्ह और भारत जननायक हो चि मिन्ह और भारतपंकज मित्र
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मानवता के इतिहास में ऐसे व्यक्ति विरल हैं जिन्होंने देशकाल की सीमाओं का अतिक्रमण कर समूचे विश्व को प्रेरित-प्रभावित किया है। ‘वियतनाम जनतांत्रिक गणतंत्र’ का महास्वप्न साकार करने वाले जननायक हो चि मिन्ह ऐसे ही महान व्यक्ति थे। हो चि मिन्ह का नाम आज पूरे विश्व में समता-न्याय-स्वतंत्रता के लिए अनथक संघर्ष करने वाले जनयोद्धा के रूप में आदर के साथ लिया जाता है। वस्तुतः हो के विषय में जानना व् उनके व्यक्तित्व और विचारों का विश्लेषण करना प्रत्येक सचेत व्यक्ति के लिए अनिवार्य है।
‘जननायक हो चि मिन्ह और भारत’ पुस्तक में प्रबद्ध लेखक गीतेश शर्मा ने हो के जीवन का प्रमाणिक परिचय देते हुए उनके अविस्मरणय योगदान को रेखांकित किया है। लेखक के अनुसार, ‘भारत में हो चि मिन्ह की प्रशस्ति तो बहुत की गई, उनकी याद में कसीदे पढ़े गए, पर हो के दर्शन, उनकी जीवन-शैली, सिद्धांतों-आदर्शों पर न तो कोई गंभीर पुस्तक आई, न ही उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में समझने की गंभीर चेष्टा की गई।’
प्रस्तुत पुस्तक हो को समझने का एक गभीर उपक्रम है। हो का भारत के साथ भी एक अद्भुत सम्बन्ध रहा है। जनोन्मुख राजनीति करने वालों, बुद्धिजीवियों व् जिम्मेदार पाठकों के मन में हो की स्मृतियाँ जिवंत हैं। गीतेश शर्मा ने हो और भारत के वैचारिक रिश्तों का प्रभावपूर्ण वर्णन किया है। हो के व्यक्तित्व और कृतित्व का यह लेखा-जोखा समस्त पाठकों को नई उर्जा से संपन्न करेगा। प्रतिबद्ध राजनीती से जुड़े व्यक्तियों को हो के विचार आज भी सकारात्मक दिशा दिखा सकते हैं। सजह व् पारदर्शी भाषा-शैली में लिखी गई यह पुस्तक आज के वैशिवक परिदृश्य में एक आलोक स्तम्भ की तरह है।
‘जननायक हो चि मिन्ह और भारत’ पुस्तक में प्रबद्ध लेखक गीतेश शर्मा ने हो के जीवन का प्रमाणिक परिचय देते हुए उनके अविस्मरणय योगदान को रेखांकित किया है। लेखक के अनुसार, ‘भारत में हो चि मिन्ह की प्रशस्ति तो बहुत की गई, उनकी याद में कसीदे पढ़े गए, पर हो के दर्शन, उनकी जीवन-शैली, सिद्धांतों-आदर्शों पर न तो कोई गंभीर पुस्तक आई, न ही उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में समझने की गंभीर चेष्टा की गई।’
प्रस्तुत पुस्तक हो को समझने का एक गभीर उपक्रम है। हो का भारत के साथ भी एक अद्भुत सम्बन्ध रहा है। जनोन्मुख राजनीति करने वालों, बुद्धिजीवियों व् जिम्मेदार पाठकों के मन में हो की स्मृतियाँ जिवंत हैं। गीतेश शर्मा ने हो और भारत के वैचारिक रिश्तों का प्रभावपूर्ण वर्णन किया है। हो के व्यक्तित्व और कृतित्व का यह लेखा-जोखा समस्त पाठकों को नई उर्जा से संपन्न करेगा। प्रतिबद्ध राजनीती से जुड़े व्यक्तियों को हो के विचार आज भी सकारात्मक दिशा दिखा सकते हैं। सजह व् पारदर्शी भाषा-शैली में लिखी गई यह पुस्तक आज के वैशिवक परिदृश्य में एक आलोक स्तम्भ की तरह है।
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