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दिल्ली अब दूर नहीं (सजिल्द)

रस्किन बॉण्ड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9893
आईएसबीएन :9789350642597

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दिल्ली अब दूर नहीं...

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

धूल और सुस्ती में लिपटा पीपलनगर उत्तर भारत का एक छोटा-सा शहर है, जहाँ ज़िन्दगी बड़ी धीमी गति से चलती है और एक दिन से दूसरे दिन में कोई फर्क नहीं लगता। न कोई बड़ी घटना घटती और न ही कोई खबर पैदा होती है। छोटे-से पीपलनगर के वासियों के सपने भी छोटे हैं जिनकी उड़ान दिल्ली पहुँच कर रूक जाती है। नाई दीपचंद का सपना है दिल्ली जाकर अपनी दुकान खोले और प्रधानमंत्री के बाल काटे। साइकिल-रिक्शा की जगह दिल्ली में स्कूटर-रिक्शा चलाना पीतांबर का सपना है और अज़ीज चाँदनी चौक में अपनी कबाड़ी की दुकान खोलने का सपना देखता है। अपने को लेखक समझने वाला अरुण जासूसी उपन्यास लिखने के सपने देखता है और वेश्या कमला से भी प्यार करता है। इनमें से कौन अपने सपने पूरे कर पाते हैं और कौन पीपल नगर में ही रह जाते हैं-पढ़िए इस उपन्यास में।

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