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गीता प्रेस, गोरखपुर >> श्रीरामचिन्तन

श्रीरामचिन्तन

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 978
आईएसबीएन :00000

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इस पुस्तक में श्रीरामचिन्तन के रुप में पर्याप्त रोचक और प्रेरक सामग्री संयोजित की गयी है। श्रीसीतारामजी के दिव्य युगलरुप के ध्यानसहित, माता कौसल्या,सुमित्रा,श्रीलक्ष्मण और देवी उर्मिला आदि के अनेक उदात्त चरित्रों पर प्रकाश डाला गया है।

Sriramchintan -A Hindi Book by Hanumanprasad Poddar श्रीरामचिन्तन - हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

निवेदन

भगवान् श्रीराम साक्षात् परब्रह्म है। निराकार, अखिलात्मन, अविनाशीतत्त्व-परमात्मा ही लोक, वेद तथा धर्म की रक्षा के लिये मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामके रूप में अवतीर्ण हुए।
बिप्र धेनु सुर संत, हित लीन्ह मनुज अवतार।
श्रीरामकी भुवनमोहिनी छवि चराचर को विश्रान्ति प्रदान करने वाली और अखिल लोक के लिये मंगलकारी उनका प्राकट्य जीवनमात्र के लिये परम  विश्रामदायक है-

‘जगनिवास प्रभु प्रगटे अखिल लोक बिश्राम ।’  जिस  प्रकार पूर्ण परमेश्वर-तत्त्व का ‘श्रीकृष्णावतार’  लोकरज्जन के लिये हुआ था, उसी प्रकार श्रीराम के रूप में वहीं परमात्मा-तत्व लोक-शिक्षण के लिये अवतरित हुआ। भगवा्न् श्रीकृष्ण का चरित्र महान् अलौकिक, दिव्य गुणगणों और सौंदर्य, माधुर्य, ऐश्वर्य तथा सामर्थ्य युक्त होने के कारण उसका अनुकरण सम्भव नहीं हैं,, पर उनकी दिव्य वाणी (श्रीमद्भगवद्गीता आदि) और कथन सर्वथा धारण करने योग्य और सदैव कल्याणकर हैं। किंतु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामका तो वचन तथा उपदेशों सहित समग्र चरित्र ही सुमर्यादित, परमपावन, उच्चादर्शमय, परममंगलकारी और सदा सेवनीय होने से अवश्य अनुकरणीय है।

परम श्रद्धेय नित्यलीलालीन भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार द्वारा  इस  पुस्तक में ‘श्रीराम-चिन्तन के रूप में पर्याप्त रोचक और प्रेरक सामग्री संयोजित की गयी है। श्रीसीतारामजीके दिव्य युगलरूप के ध्यानसहित, माता कौसल्या सुमित्रा, श्रीलक्ष्मण और देवी उर्मिला आदि के अनेक उदात्त चरित्रों पर भी मनीषी लेखक ने इसमें सुन्दर प्रकाश डाला है। सरल, सुबोध भाषा में प्रभु श्रीराम की स्वभावगत और चरित्रगत विशेषताओं सहित उनके जीवनादर्शो का इसमें महत्वपूर्ण रेखांकन हुआ है श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण, श्रीरामचरितमानस, एवं तुलसी-साहित्य की प्रमुख रचनाओं गीतावली, कवितावली आदि के उद्धरणों द्वारा इसके ललित लीला-प्रसंग और भी अधिक रोचक, सरस और मर्मस्पर्शी बन  गये  हैं।
भगवद्भावों से अभिभूत करने और जीवन को उच्चता की ओर ले जाने में सहायक इसकी सामग्री सबके लिये हितकारी है; और उपयोगी मार्ग-दर्शन सिद्ध हो सकती है। अतएव सभी प्रेमी पाठकों, जिज्ञासुओं और साधकों को इससे अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिये।

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