नई पुस्तकें >> सोफी का संसार सोफी का संसारजॉस्टिन गार्डर
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
'सोफी का संसार' एक रहस्यपूर्ण और रोचक उपन्यास है, साथ ही पश्चिमी दर्शन के इतिहास और दर्शन की मूलभूत समस्याओं के विश्लेषण पर एक गहन तथा अद्वितीय पुस्तक भी। आधुनिक भारत के प्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर दयाकृष्ण के अनुसार दो प्रश्नों को सार्वभौमिक स्तर पर दर्शन के मूलभूत प्रश्न कहा जा सकता है।
पहला प्रश्न है : 'मैं कौन हूँ?' और,
दूसरा है : 'यह विश्व अस्तित्व में कैसे आया?'
अन्य दार्शनिक प्रश्न इन्हीं दो मूल प्रश्नों के साथ जुड़े हुए हैं।
इन प्रश्नों से पाठक का परिचय उपन्यास के पहले ही अध्याय में एक रहस्यात्मक और रोचक प्रसंग के माध्यम से हो जाता है। किसी जटिल सैद्धान्तिक रूप में प्रस्तुत करने की बजाय 14-15 वर्ष की किशोरी सोफी को दैनिक जीवन के व्यावहारिक स्तर पर इन प्रश्नों को पूछने के लिए प्रेरित किया गया है। विश्व के अनेक दार्शनिकों और विचारकों ने इन प्रश्नों पर गम्भीर चिन्तन किया है। 'सोफी का संसार' पाश्चात्य दार्शनिक जिज्ञासाओं के 2500 वर्ष लम्बे इतिहास को स्मृति, कल्पना तथा विवेक के अद्भुत संयोजन के माध्यम से प्रस्तुत करता है। सुकरात से पहले के दार्शनिकों—येल्स, ऐनेक्सीमांदर, ऐनेक्सीमेनीज, परमेनिडीज, हैरेक्लाइटस, डैमोक्रिटीस इत्यादि दार्शनिकों की चर्चा से प्रारम्भ करते हुए यह उपन्यास अफलातून (प्लेटो), अरस्तू, आगस्तीन, एक्विनाज, देकार्त, स्पिनोजा, लाइब्निज, लॉक, बर्कले, ह्यूम, कांट, हेगेल, किर्केगार्ड, माक्र्स, डारविन तथा सात्र्र तक सभी महत्त्वपूर्ण दार्शनिकों की जिज्ञासाओं तथा चिन्तन-विधियों की विश्लेषणात्मक समीक्षा प्रस्तुत करता है। नार्वेजन भाषा में लिखे गए इस दार्शनिक उपन्यास का अनुवाद विश्व की 60 से अधिक भाषाओं में हो चुका है और पिछले दो दशकों में इसकी पाँच करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं।
पहला प्रश्न है : 'मैं कौन हूँ?' और,
दूसरा है : 'यह विश्व अस्तित्व में कैसे आया?'
अन्य दार्शनिक प्रश्न इन्हीं दो मूल प्रश्नों के साथ जुड़े हुए हैं।
इन प्रश्नों से पाठक का परिचय उपन्यास के पहले ही अध्याय में एक रहस्यात्मक और रोचक प्रसंग के माध्यम से हो जाता है। किसी जटिल सैद्धान्तिक रूप में प्रस्तुत करने की बजाय 14-15 वर्ष की किशोरी सोफी को दैनिक जीवन के व्यावहारिक स्तर पर इन प्रश्नों को पूछने के लिए प्रेरित किया गया है। विश्व के अनेक दार्शनिकों और विचारकों ने इन प्रश्नों पर गम्भीर चिन्तन किया है। 'सोफी का संसार' पाश्चात्य दार्शनिक जिज्ञासाओं के 2500 वर्ष लम्बे इतिहास को स्मृति, कल्पना तथा विवेक के अद्भुत संयोजन के माध्यम से प्रस्तुत करता है। सुकरात से पहले के दार्शनिकों—येल्स, ऐनेक्सीमांदर, ऐनेक्सीमेनीज, परमेनिडीज, हैरेक्लाइटस, डैमोक्रिटीस इत्यादि दार्शनिकों की चर्चा से प्रारम्भ करते हुए यह उपन्यास अफलातून (प्लेटो), अरस्तू, आगस्तीन, एक्विनाज, देकार्त, स्पिनोजा, लाइब्निज, लॉक, बर्कले, ह्यूम, कांट, हेगेल, किर्केगार्ड, माक्र्स, डारविन तथा सात्र्र तक सभी महत्त्वपूर्ण दार्शनिकों की जिज्ञासाओं तथा चिन्तन-विधियों की विश्लेषणात्मक समीक्षा प्रस्तुत करता है। नार्वेजन भाषा में लिखे गए इस दार्शनिक उपन्यास का अनुवाद विश्व की 60 से अधिक भाषाओं में हो चुका है और पिछले दो दशकों में इसकी पाँच करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं।
ईडन की बगिया
किसी क्षण अवश्य ही कुछ शून्य से निकलकर आया होगा.... 15
जादुई टोपी
अच्छा दार्शनिक होने के लिए हमें चाहिए सिर्फ विस्मित होने की क्षमता.... 23
पौराणिक कथाएँ ( मिथक)
अच्छाई और बुराई की शक्तियों के बीच अनिश्चित अस्थिर सन्तुलन.... 32
प्राकृतिक दार्शनिक
शून्य से केवल शून्य ही प्रकट हो सकता है... 38
डिमॉक्रिटस
दुनिया का सबसे कुशल खिलौना ... 49
नियति
'भविष्यवक्ता' किसी ऐसी चीज का पूर्व-दर्शन करने का प्रयास कर रहा है 54
जो वास्तव में बिलकुल पूर्व-दर्शनीय नहीं है ...
सुकरात
सबसे बुद्धिमान वह (स्त्री) है जो यह जानती है कि उसे कुछ नहीं मालूम.... 62
एथेंस
भग्नावशेषों में से कई ऊँची इमारतें खड़ी हो गई हैं.... 75
अफलातून
आत्म-जगत में लौटने की ललक... 81
मेजर का केबिन
दर्पण से लड़की ने आँखें मारीं दोनों आँखों की पलकें झपकाकर ... 94
अरस्तू
एक कुशल प्रबन्धक जो हमारी धारणाओं को स्पष्ट करना चाहता था... 103
यूनानवाद
आग से एक चिनगारी ... 117
पोस्टकार्ड्स
मैं अपने ऊपर कड़ा सेंसरशिप लागू कर रहा हूँ... 133
दो संस्कृतियाँ
शून्य में तैरने से परे रहने का एकमात्र रास्ता... 141
मध्य युग
रास्ते के अन्त तक न जाना किसी गलत रास्ते पर जाने से भिन्न है.... 153
पुनर्जागरण
नश्वर वेश में दिव्य वंश-परम्परा... 174
बैरोक
वह साजो-सामान जिससे सपने बुने जाते हैं... 200
देकार्त
वह निर्माण स्थल से सारा मलबा साफ करना चाहता था .... 215
स्पिनोज़ा
ईश्वर कठपुतली नचानेवाला नहीं है ... 227
लॉक
इतना कोरा और खाली जितना अध्यापक के आने से पहले ब्लैकबोर्ड... 236
ह्यूम
तो फिर इसे आग की लपटों के हवाले कर दो... 246
बर्कले
जलते सूरज के गिर्द चक्कर काटते आक्रान्त ग्रह की तरह ... 260
जरकले
एक पुराना जादुई शीशा जिसे पड़दादी माँ ने एक जिप्सी औरत से खरीदा था... 265
प्रबोधन काल
सुई बनाने के तरीके से लेकर तोप ढालने के तरीके तक... 279
कांट
मेरे ऊपर सितारों भरा आकाश और नैतिक नियम मेरे भीतर ... 294
रोमांटिसिज्म
रहस्य का मार्ग ले जाता है भीतर की ओर..... 310
हेगल
तर्कोचित वह है, जो व्यावहारिक है... 324
किर्केगार्ड
यूरोप दिवालियेपन की राह पर है... 334
मार्क्स
एक प्रेत यूरोप का पीछा कर रहा है ... 345
डार्विन
जीवन में बहता हुआ एक जहाज, आनुवंशिक कोशाणुओं (जीन्स) का खज़ाना लिये । 360
फ्रायड
दुर्गन्धित अहंकारी मनोवेग, जो उस (स्त्री) में प्रकट हुआ... 380
हमारा अपना समय
मनुष्य स्वतन्त्र होने के लिए अभिशप्त है.... 395
द गार्डन पार्टी
एक सफेद कौवा.... 414
प्रति-बिन्दु
दो या अधिक लय एक साथ गुंजायमान होती हुई ... 425
द बिग बैंग (बड़ा धमाका)
हम भी सितारों की धूल हैं.... 441
'सोफी का संसार' के बीसवीं जयन्ती संस्करण की भूमिका 451
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