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ताई और अन्य कहानियाँ

विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9566
आईएसबीएन :9788174831521

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘ताई’ हिन्दी कहानियों में एक मील का पत्थर मानी जाती है। इसके कहानीकार विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक की गणना प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, गुलेरी के साथ आधुनिक हिन्दी कहानी के निर्माताओं में की जाती है। काल-क्रम की दृष्टि से ये सभी लेखक एक आध साल के अन्तर से आए और प्रत्येक ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। जहां प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद का नाम हिन्दी साहित्य में आज भी बहुत लोकप्रिय है और उनका साहित्य आसानी से उपलब्ध हैं, वहीं कौशिक जी की रचनाएँ पाठक की नज़रों से कुछ ओझल-सी हो गई हैं। उनकी कहानियों का यह संकलन इस अभाव को पूरा करता है।

विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक की अधिकांश कहानियाँ उत्तर भारत के सामाजिक जीवन का चित्रण करती हैं। यादगार चरित्रों को पैदा करना कौशिक जी की विशेषता थी और वे अपने पात्रों को अपनी कहानियों के माध्यम से इस तरह जीवंत करते थे कि पाठक को वर्षों तक याद रहे।

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