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रहस्य-रोमांच >> दौलत का ताज

दौलत का ताज

अनिल मोहन

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :272
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9405
आईएसबीएन :9789332420168

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

केसीनो में सनसनी-सी व्याप्त हो चुकी थी। जो भी मामले को सुनता, मैनेजर नरेन्द्र गुरंग के ऑफिस की तरफ दौड़ा आता। वहां भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी। हर कोई आंखों में प्रश्न लिए एक दूसरे का चेहरा देख रहा था, जिसके पीछे गुरंग के ऑफिस के बंद दरवाजे को देख रहा आ, जिसके पीछे गुरंग डकैतों के रिवॉल्वर के निशाने पर था।

न्यू ईयर की रात तो केसीनो के किसी भी कर्मचारी को सांस लेने की फुरसत नहीं होती, इतनी व्यस्तता होती है वहां, परन्तु डकैती होने की बात सुनकर, हर कोई फुरसत में ही था। हैरान-परेशान थे सारे केसीनो के कर्मचारी, कि स्ट्रांगरूम में कोई डकैत कैसे प्रवेश कर सकता है। तगड़े इन्तजाम हैं वहां, परन्तु डकैतों के स्ट्रांगरूम में प्रवेश कर जाने की बात सुनकर सामने वाला ठगा-सा रह जाता।

बात केसीनो तक पहुंची।

खेलने वालों ने खेलना छोड़ दिया। उत्सुकतावश वे भी गुरंग के ऑफिस की तरफ दौड़े।

आधा केसीनो खाली हो गया।

बाररूम...! जहाँ पांव रखने की जगह नहीं मिल रही थी। वह भी खाली-खाली-सा नजर आने लगा। केसीनो के कर्मचारी बिना वजह इधर-उधर दौड़ रहे थे। मौजूदा पुलिसवालों की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। खुद को व्यस्त दिखाने के लिए, आने जाने वालों पर रौब डालते हुए, तेजी से इधर-उधर यूं ही दौड़ते फिर रहे थे।

अफरा-तफरी का माहौल हर तरफ नजर आ रहा था। स्ट्रांगरूम में डकैती !

करोड़ों की डकैती... !

डकैत स्ट्रांगरूम के भीतर हैं !

मैनेजर गुरंग भी डकैतों के कब्जें में है !

क्या डकैत स्ट्रांगगरूम का पैसा ले जाएंगे।

कौन है जो डकैती कर रहा है ? डकैतों का हौसला तो देखो, स्ट्रांगरूम में डकैती डाली ही नहीं जा सकती और डकैतों ने इतना बड़ा खतरनाक कदम उठा डाला।

इस समय तो यही सब बातें थीं, जो वहां मौजूद सैकड़ों लोगों के

मुंह से निकल रही थीं। हर कोई एक-दूसरे से पूछ रहा था, परन्तु जवाब ना तो किसी के पास था और ना ही कोई जवाब दे पा रहा था। वहां सनसनी का जो माहौल बना हुआ था, वह देखते ही बनता था।

भीष्म सिंह डोगरा !

काठमांडू की जानी-मानी इज्जतदार हस्ती।

डोगरा के काठमांडू में कई विजय चलते थे, जिनमें से एक रायल केसीनो भी था। रायल केसीनो काठमांडू का नम्बर वन केसीनो था। विदेशों से भी लोग जब काठमांडू आते तो रायल केसीनो में जाकर अवश्य खेलते। न्यू ईयर जैसे वक्त में तो विदेशों से लोग खासतौर से रायल केसीनो में बाजी लगाने के लिए काठमांडू आते थे।

हस्ती होने के नाते भीष्म सिंह डोगरा की काठमांडू में चलती थी। पुलिस में भी सब डोगरा की इज्जत करते थे और काठमांडू के नेता भी डोगरा से खुशी-खुशी मिलते थे क्योंकि चुनावों के समय, डोगरा अपनी खास पार्टी को पैसा देता था, जबकि डोगरा को कभी भी किसी से काम नहीं पड़ा था।

लेकिन आज उसके केसीनो के स्ट्रांगरूम में डकैती पड़ रही दी।

पचास वर्षीय भीष्म सिंह डोगरा इस बात को बर्दाश्त नहीं कर कर पा रहा था। दो बातें उसके सिर चढ़कर उसे तंग कर रही थीं। एक तो यह कि केसीनो में जो करोडों रुपया पड़ा है, वह पब्लिक का पैसा है। अगर डकैती में चला गया तो, सारी भरपाई उसे अपने पल्ले से करनी पड़ेगी और दूसरी तकलीफ उसे यह हो रही थी कि, स्ट्रांगरूम की सुरक्षा व्यवस्था खुद उसने की थी और उसे पूरा विश्वास था कि कोई भी स्ट्रांगरूम तक नहीं पहुंच सकता। वहां मौजूद दौलत को नहीं ले जा सकता। अगर डकैती पड़ गई, डकैत दौलत ले गए तो, ऐसा होते ही उसके केसीनो से लोगों का विश्वास उठ जाएगा। वे आना बंद कर देंगे। केसीनो से उसे तगड़ी पैदा थी, यह बंद हो जाएगी। भीष्म सिंह डोगरा के लिए यह सरासर नुकसानदेह बात थी। केसीनो के पांव उसने बहुत मेहनत करके जमाए थे। तभी तो रायल केसीनो का नाम विदेशों तक पहुंचा हुआ था।

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