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जीवनी/आत्मकथा >> गुरु घासीदास

गुरु घासीदास

बलदेव

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 9354
आईएसबीएन :9788183617789

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

जिस समय छत्तीसगढ़ की जनता भोंसलों के अत्याचार और अंग्रेजों की कुटिलता से जूझ रही थी, उसी समय गुरु घासीदास का जन्म एक मध्यवर्गीय किसान परिवार में हुआ था ! वे भूख से मरने और बेगार करने के लिए अभिशापित थे, परन्तु उनमें साहस, सद्बुद्धि और संघर्ष के लिए जन्मजात ज्ञान था ! इसलिए बचपन में वे अपने साथियों को सत्य और अहिंसा की पहचान करा सके ! गुरु घासीरास ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति को स्वयं या परिवार के किसी सदस्य के भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए न लगाकर मानवता के कल्याण के लिए युग-युग से पीड़ित-शोषित जन के लिए लगाया ! उन्हें रुढियों से मुक्त किया ! चोरी, हिंसा, मद्यपान, जिसमें यह समाज डूब चूका था, जैसी कुरीतियों को पाप बतलाकर जीवनमात्र के लिए दया और प्रेम की शिक्षा दी ! सत्य, अहिंसा, समानता का पाठ पढ़ाकर उन्हें कृषि तथा गो-पालन के लिए उत्प्रेरित किया !

इस प्रकार देखते हैं कि पं. सुन्दर लाल शर्मा, महात्मा गाँधी और बाबा अम्बेडकर के पूर्व ही उन्होंने सतनाम पंथ की स्थापना कर अपने शिष्यों को स्वावलंबन और स्वतंत्रता का पाठ सिखला दिया था ! सतनाम पंथ एक विचारधारा है जिसका सीधा सम्बन्ध उपनिषदों के एकेश्वरवाद और भगवान् बुद्ध की करुणा से है ! छत्तीसगढ़ में शोषित-पीड़ित मानवता के उद्दार के लिए गुरु घासीदास ने कठिन तपस्या की, सैट पुरुष का दर्शन किया और उन्ही के आदेश पर अपने अनुयायियों को उनका दिव्य सन्देश दिया, जो प्राणिमात्र के लिए अत्यंत कल्याणकारी है ! यह पुस्तक गुरु घासीदास के जीवन और दर्शन का विस्तृत और प्रमाणिक परिचय देती है !

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