स्वास्थ्य-चिकित्सा >> सुश्रुतसंहिता भाग - 2 सुश्रुतसंहिता भाग - 2कविराज अम्बिकादत्तशास्त्री
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
शल्य शास्त्र के आदि आचार्य के रूप में महर्षि सुश्रुत देश-देशान्तर में सुविदित हैं।
प्रस्तुत ग्रन्थ जगत प्रसिद्ध रचना सुश्रुत संहिता का एक प्रामाणिक संस्करण है। भिषगाचार्य अम्बिकादत्त शास्त्री द्वारा लगभग आधी सदी पूर्व इसकी संपादित प्रति पहली बार प्रकाशित हुई और तब से यह संस्करण आयुर्वेद के विद्यार्थियों एवं प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय चला आ रहा है। इन वर्षों में ग्रंथ के अनगिनत संस्करण प्रकाशित हुए और सभी को सुधी जनों ने हाथों हाथ लिया है।
इस संपादन की अखण्ड लोकप्रियता को देखते हुए हमने इसे एक नये स्वरूप में प्रकाशित किया है। निम्नलिखित चार विशिष्टताओं ने इस पहले से लोकप्रिय संस्करण में मानो चार चाँद ही लगा दिए हैं :
1. कम्प्यूटर द्वारा सुस्पष्ट एवं स्वच्छ टंकण।
2. यथास्थान चित्रों का संदर्भयुक्त संयोजन।
3. प्रत्येक अध्याय हेतु सुलभ विषयोपोद्घात।
4. प्रत्येक खण्ड/स्थान के लिए अकारादि क्रम से शब्दानुक्रमणिका।
प्रस्तुत ग्रन्थ जगत प्रसिद्ध रचना सुश्रुत संहिता का एक प्रामाणिक संस्करण है। भिषगाचार्य अम्बिकादत्त शास्त्री द्वारा लगभग आधी सदी पूर्व इसकी संपादित प्रति पहली बार प्रकाशित हुई और तब से यह संस्करण आयुर्वेद के विद्यार्थियों एवं प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय चला आ रहा है। इन वर्षों में ग्रंथ के अनगिनत संस्करण प्रकाशित हुए और सभी को सुधी जनों ने हाथों हाथ लिया है।
इस संपादन की अखण्ड लोकप्रियता को देखते हुए हमने इसे एक नये स्वरूप में प्रकाशित किया है। निम्नलिखित चार विशिष्टताओं ने इस पहले से लोकप्रिय संस्करण में मानो चार चाँद ही लगा दिए हैं :
1. कम्प्यूटर द्वारा सुस्पष्ट एवं स्वच्छ टंकण।
2. यथास्थान चित्रों का संदर्भयुक्त संयोजन।
3. प्रत्येक अध्याय हेतु सुलभ विषयोपोद्घात।
4. प्रत्येक खण्ड/स्थान के लिए अकारादि क्रम से शब्दानुक्रमणिका।
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