सामाजिक विमर्श >> कबीर एक नयी दृष्टि कबीर एक नयी दृष्टिरघुवंश
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कबीर अपनी वाणी के विभिन्न अंगों के अंतर्गत व्यक्तिगत जीवन, पारिवारिक-सामाजिक संबंधों, आर्थिक-राजनीतिक परिस्थितियों से धर्म, साधना और अध्यात्म क्षेत्र तक के मूल्य-बोध को अनेक स्तरों पर, नाना रूपों तथा विभिन्न आयामों में अभिव्यक्त करते हैं ! उन्होंने प्रचलित-परम्परित रूढ़ियों, मान्यताओं, विकृतियों-विडम्बनाओं तथा मूल्यहीनताओं का प्रभावी शैली में खंडन तथा विघटन किया है !
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