सामाजिक >> कानूनवालाज चैम्बर कानूनवालाज चैम्बरअपूर्व अग्रवाल
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कहीं सत्य और न्याय की जीत, कहीं चरमराइ हुई व्यवस्था की हार ! जुर्म, जुल्म, कानून और सजा की आग धधकती आंधी में झूलती-झुलसती जिंदगियाँ ! हुस्न, आशिकी, प्रेम, सेक्स, दोस्ती, वैर-वैमनस्य, षड़यंत्र, पश्चाताप, आइडेंटिटी-थेफ़्ट, मर्डर के अस्त्रों और बेड़ियों से बंधी क्रिमनल लॉ और जस्टिस की क्लासिकल रहस्यमयी-रोमांचक कहानियां, जिनमे न्याय-तंत्र की बीते सौ सालों की तस्वीरें हमारे सामने खुद-ब-खुद जिन्दा खड़ी हो जाती हैं !
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