सिनेमा एवं मनोरंजन >> चैनलों के चेहरे चैनलों के चेहरेश्याम कश्यप
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
न्यूज़ चैनलों की जब भी बात होती है तो उनके एंकर की चर्चा जरूर की जाती है ! और कैसे न हो ! एंकर किसी भी चैनल की पहचान होते हैं ! वे चैनलों के चेहरे होते हैं ! किसी भी चैनल के एंकर जिस तरह के होते हैं उसके आधार पर ही यह राय बनाई जाती है कि वह चैनल कैसा है ! अगर एंकर खूबसूरत, समझदार, चौकन्ने हैं तो उस चैनल को भी लोग उसी नजर से देखेंगे ! इसलिए कोई भी चैनल एंकर के चयन को सबसे ज्यादा महत्त देता है !
वह ऐसे चेहरों की तलाश में रहता है जो दर्शकों को बाँध सकें ! जाहिर है कि टेलीविज़न एंकरिंग एक आकर्षक एवं प्रभावशाली विधा है, पेशा है और यह बहुत स्वाभाविक है कि छात्र ही नहीं टेलीविज़न में वर्षों से काम कर रहे पत्रकार भी यह सपना पाले रहते हैं कि उन्हें भी स्क्रीन पर आने का मौका मिले ! इसलिए सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्धा भी एंकरिंग के लिए होती है ! चैनल चलाने वाले भी एंकर के चयन के मामले में बेहद कठोर होते हैं !
कोई भी चैनल एंकर को लेकर समझौता नहीं करना चाहता ! इसलिए एंकर बनने के इच्छुक लोगों को यह जरूर पता होना चाहिए कि उनकी राह बहुत आसन नहीं है और यह सपना कैसे पूरा हो सकता है या उसे पूरा करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए, इस पर सोचना जरूरी है ! आजकल सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि एंकरिंग के बारे में विस्तार से जानने और फिर उसे सीखने का कोई इंतजाम नहीं है !
दिल्ली, मुंबई जैसे कुछ बड़े शहरों को छोड़ दें तो कहीं ढंग के प्रशिक्षण संस्थान नहीं हैं ! जहाँ हैं, वहां सिखाने वाले खुद ही प्रशिक्षित नहीं हैं ! बड़े शहरों में भी अधिकांश प्रशिक्षण संस्थान मोटी रकम वसूलने के लिए ज्यादा कुख्यात हैं ! ऐसे में कमजोर हैसियत और छोटे तथा मझोले शहरों में रहने वाले लोग क्या करें, कहाँ जाएँ ?
उन्हें तो किताबों की ही मदद से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना होगा ! लेकिन मुश्किल यह है कि टेलीविज़न एंकरिंग पर ढंग की किताबें भी नहीं हैं ! जो हैं वे दशकों पुरानी एंकरिंग को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं जबकि अब उसमें आमूल-चूल परिवर्तन आ चूका है ! टेलीविज़न पत्रकरिता माला के तहत चैनलों के चेहरे शीर्षक से एंकरिंग पर किताब लिखने का मकसद इस कमी को पूरा करना ही है ! कोशिश रही है कि यह किताब एंकरिंग की एक परिपक्व गाइड की भूमिका ऐडा करे ! इसलिए टेलीविज़न के मौजूदा दौर को ध्यान में रखकर और एंकरिंग के बारे में विस्तार से जानकारी जुटाकर इसे तैयार किया गया है ! यह पुस्तक न केवल एंकरिंग के सम्बन्ध में जानकारी कराती है, जिससे वे खुद अपनी तैयारी को आगे बढ़ा सकें !
वह ऐसे चेहरों की तलाश में रहता है जो दर्शकों को बाँध सकें ! जाहिर है कि टेलीविज़न एंकरिंग एक आकर्षक एवं प्रभावशाली विधा है, पेशा है और यह बहुत स्वाभाविक है कि छात्र ही नहीं टेलीविज़न में वर्षों से काम कर रहे पत्रकार भी यह सपना पाले रहते हैं कि उन्हें भी स्क्रीन पर आने का मौका मिले ! इसलिए सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्धा भी एंकरिंग के लिए होती है ! चैनल चलाने वाले भी एंकर के चयन के मामले में बेहद कठोर होते हैं !
कोई भी चैनल एंकर को लेकर समझौता नहीं करना चाहता ! इसलिए एंकर बनने के इच्छुक लोगों को यह जरूर पता होना चाहिए कि उनकी राह बहुत आसन नहीं है और यह सपना कैसे पूरा हो सकता है या उसे पूरा करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए, इस पर सोचना जरूरी है ! आजकल सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि एंकरिंग के बारे में विस्तार से जानने और फिर उसे सीखने का कोई इंतजाम नहीं है !
दिल्ली, मुंबई जैसे कुछ बड़े शहरों को छोड़ दें तो कहीं ढंग के प्रशिक्षण संस्थान नहीं हैं ! जहाँ हैं, वहां सिखाने वाले खुद ही प्रशिक्षित नहीं हैं ! बड़े शहरों में भी अधिकांश प्रशिक्षण संस्थान मोटी रकम वसूलने के लिए ज्यादा कुख्यात हैं ! ऐसे में कमजोर हैसियत और छोटे तथा मझोले शहरों में रहने वाले लोग क्या करें, कहाँ जाएँ ?
उन्हें तो किताबों की ही मदद से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना होगा ! लेकिन मुश्किल यह है कि टेलीविज़न एंकरिंग पर ढंग की किताबें भी नहीं हैं ! जो हैं वे दशकों पुरानी एंकरिंग को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं जबकि अब उसमें आमूल-चूल परिवर्तन आ चूका है ! टेलीविज़न पत्रकरिता माला के तहत चैनलों के चेहरे शीर्षक से एंकरिंग पर किताब लिखने का मकसद इस कमी को पूरा करना ही है ! कोशिश रही है कि यह किताब एंकरिंग की एक परिपक्व गाइड की भूमिका ऐडा करे ! इसलिए टेलीविज़न के मौजूदा दौर को ध्यान में रखकर और एंकरिंग के बारे में विस्तार से जानकारी जुटाकर इसे तैयार किया गया है ! यह पुस्तक न केवल एंकरिंग के सम्बन्ध में जानकारी कराती है, जिससे वे खुद अपनी तैयारी को आगे बढ़ा सकें !
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