सामाजिक >> चार अध्याय चार अध्यायरबीन्द्रनाथ टैगोर
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
अपूर्व सौंदर्य की धनी नवयौवना एला के मन में, पारिवारिक कलह की वजह से विवाह के प्रति घृणा का भाव था, मगर मातापिता के देहांत के बाद समय ने ऐसा मोड़ लिया कि एला के हृदय में प्यार के अंकुर फूटने लगे।
क्या प्यार के ये अंकुर वृक्ष बन सके ? क्या उसे अपने प्यार का प्रतिदान मिल सका ?
आखिर कौन था उन दोनों के प्यार का जानी दुश्मन-अंतु का देश प्रेम एवं सेवा भाव या कोई तीसरा... ?
जानने के लिए पढ़िए टैगोर का लघु उपन्यास - चार अध्याय; साथ ही कुछ रोचक कहानियां भी...
क्या प्यार के ये अंकुर वृक्ष बन सके ? क्या उसे अपने प्यार का प्रतिदान मिल सका ?
आखिर कौन था उन दोनों के प्यार का जानी दुश्मन-अंतु का देश प्रेम एवं सेवा भाव या कोई तीसरा... ?
जानने के लिए पढ़िए टैगोर का लघु उपन्यास - चार अध्याय; साथ ही कुछ रोचक कहानियां भी...
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