सामाजिक >> पछतावा पछतावाप्रेमचंद
|
8 पाठकों को प्रिय 450 पाठक हैं |
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कथा सम्राट प्रेमचंद विश्व के उन प्रसिद्ध एवं विशिष्ट कथाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं, जिन्होंने समाज के सभी वर्गों - अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, जमींदार-किसान, साहूकार-कर्जदार आदि के जीवन और उनकी समस्याओं को यथार्थवादी धरातल पर बड़ी ही सीधी-सादी शैली और सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए एक दिशा देने का प्रयास किया है।
यही कारण है कि प्रेमचंद की कहानियां हिंदी-भाषी क्षेत्रों में ही नहीं, संपूर्ण भारत में आज भी पढ़ी, समझी और सराही जाती हैं। इतना ही नहीं, विदेशी भाषाओं में भी उनकी चुनी हुई कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं।
इसी संदर्भ में प्रस्तुत है उनकी चुनिंदा कहानियों का संग्रह - ‘पछतावा’ उच्च शिक्षा प्राप्त पं. दुर्गानाथ सत्य और ईमानदारी को अपना आदर्श समझते थे। जमींदार साहब की नौकरी में उन्होंने अनेक प्रलोभनों के बाबजूद कभी सत्य का पथ न छोड़ा और नौकरी छोड़ कर चले गए। उनकी इसी सत्यनिष्ठा ने न केवल ग्रामवासियों का कायापलट किया बल्कि मरते समय जमींदार को भी अपने परिवार के पालक के रूप में उन्हीं की याद आई।
मानव स्वभाव की ऐसी ही अनेक चरित्रगत विशेषताओं को उजागर करता पठनीय एवं संग्रहणीय कहानी संग्रह-‘पछतावा’।
यही कारण है कि प्रेमचंद की कहानियां हिंदी-भाषी क्षेत्रों में ही नहीं, संपूर्ण भारत में आज भी पढ़ी, समझी और सराही जाती हैं। इतना ही नहीं, विदेशी भाषाओं में भी उनकी चुनी हुई कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं।
इसी संदर्भ में प्रस्तुत है उनकी चुनिंदा कहानियों का संग्रह - ‘पछतावा’ उच्च शिक्षा प्राप्त पं. दुर्गानाथ सत्य और ईमानदारी को अपना आदर्श समझते थे। जमींदार साहब की नौकरी में उन्होंने अनेक प्रलोभनों के बाबजूद कभी सत्य का पथ न छोड़ा और नौकरी छोड़ कर चले गए। उनकी इसी सत्यनिष्ठा ने न केवल ग्रामवासियों का कायापलट किया बल्कि मरते समय जमींदार को भी अपने परिवार के पालक के रूप में उन्हीं की याद आई।
मानव स्वभाव की ऐसी ही अनेक चरित्रगत विशेषताओं को उजागर करता पठनीय एवं संग्रहणीय कहानी संग्रह-‘पछतावा’।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book