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स्मृति का पुजारी

प्रेमचंद

प्रकाशक : विश्व बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9270
आईएसबीएन :8179871843

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

कथा सम्राट प्रेमचंद विश्व के उन प्रसिद्ध एवं विशिष्ट कथाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं, जिन्होंने समाज के सभी वर्गों - अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, जमींदार-किसान, साहूकार-कर्जदार आदि के जीवन और उनकी समस्याओं को यथार्थवादी धरातल पर बड़ी ही सीधी-सादी शैली और सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए एक दिशा देने का प्रयास किया है।

यही कारण है कि प्रेमचंद की कहानियां हिंदी-भाषी क्षेत्रों में ही नहीं, संपूर्ण भारत में आज भी पढ़ी, समझी और सराही जाती हैं।
इतना ही नहीं, विदेशी भाषाओं में भी उनकी चुनी हुई कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं।

इसी संदर्भ में प्रस्तुत है - दांपत्य प्रेम को नए आराम देती उन की चुनिंदा कहानियों का संग्रह - ‘स्मृति का पुजारी’ पत्नी की मृत्यु के बाद महाशय होरीलाल के लिए तो जैसे सब कुछ समाप्त हो गया था। लेकिन कुछ वर्षों बाद जब उन के रंगढंग बदले तो मित्रों को लगा कि पत्नी की मृत्यु के बाद खाली सिंहासन भरने वाला है। सच्चाई क्या थी?

‘स्मृति का पुजारी’ तथा अन्य ऐसी कहानियां जो दांपत्य प्रेम के मधुर अनुभवों का झरोखा हैं।

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