नाटक-एकाँकी >> अजातशत्रु अजातशत्रुजयशंकर प्रसाद
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प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश
उत्तर भारत के ज्ञात इतिहास काल का संभवतः प्रथम सम्राट मगधनायक बिंबसार का पुत्र अजातशत्रु अपने प्रारंभिक जीवन में कितना ही हिंसक, उच्छृंखल और अविनीत रहा हो, पर परवर्ती जीवन में वह एक साहसी, कार्यकुशल एवं व्यवहार पटु शासक सिद्ध हुआ, जिस ने अपने पराक्रम से कोशल नरेश प्रसेनजित को पराजित किया।
इसी अजातशत्रु के प्रचंड पराक्रम की गौरव गाथा है जयशंकर ‘प्रसाद’ द्वारा रचित नाटक ‘अजातशत्रु’। तीन अंकों में विभक्त इस नाटक की प्रायः संपूर्ण कथात्मक घटनाएं मगध, कोशल और कौशांबी में घटित होती हैं।
नाटककार ने इन घटनाओं को बड़ी ही कुशलता से संयोजित किया है कि एक राज्य में घटित घटना का प्रभाव दूसरे राज्य पर पड़ता है। नाटक पर बौद्ध धर्म का प्रभाव सहज ही देखा जा सकता है।
अपने इतिहास बोध, रोचकता एवं तथ्यपरकता के कारण यह नाटक सभी वर्गों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है।
इसी अजातशत्रु के प्रचंड पराक्रम की गौरव गाथा है जयशंकर ‘प्रसाद’ द्वारा रचित नाटक ‘अजातशत्रु’। तीन अंकों में विभक्त इस नाटक की प्रायः संपूर्ण कथात्मक घटनाएं मगध, कोशल और कौशांबी में घटित होती हैं।
नाटककार ने इन घटनाओं को बड़ी ही कुशलता से संयोजित किया है कि एक राज्य में घटित घटना का प्रभाव दूसरे राज्य पर पड़ता है। नाटक पर बौद्ध धर्म का प्रभाव सहज ही देखा जा सकता है।
अपने इतिहास बोध, रोचकता एवं तथ्यपरकता के कारण यह नाटक सभी वर्गों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है।
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