नारी विमर्श >> एक नौकरानी की डायरी एक नौकरानी की डायरीकृष्ण बलदेव वैद
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एक नौकरानी की डायरी...
Ek Naukrani ki Diary
प्रख्यात उपन्यासकार कृष्ण बलदेव वैद का यह ताज़ा उपन्यास एक ऐसे बिलकुल नए विषय को उठाता है जिसकी ओर आज तक लेखकों का ध्यान नहीं गया है। शहरों के घरों में चौका-बरतन और सफाई इत्यादि करनेवाली नौकरानियों की रोजमर्रा की जिन्दगी और उनकी मानसिकता इसका विषय है। एक युवा होती नौकरानी की मानसिक उथल-पुथल को उन्होंने इस उपन्यास में बड़े ही मार्मिक ढंग से चित्रित किया है तथा उसे नियमित रूप से डायरी लिखने का संबल देकर बड़ी कुशलता से उसे अपने आपको और दूसरों को पहचानने-परखने का अवसर दिया है।
प्रवाहपूर्ण भाषा में लिखित यह उपन्यास फ्रायड के उस उपन्यास की याद दिलाता है जो उन्होंने एक युवा होती लड़की की मानसिकता का चित्रण करने के उद्देश्य से डायरी के रूप में लिखा था। यह उपन्यास आरम्भ से ही पाठक की जिज्ञासा को जगाने में सफल है। उपन्यास की नायिका शानो हिन्दी साहित्य का वह चरित्र है जिसे पाठक हमेशा याद रखेंगे।
प्रवाहपूर्ण भाषा में लिखित यह उपन्यास फ्रायड के उस उपन्यास की याद दिलाता है जो उन्होंने एक युवा होती लड़की की मानसिकता का चित्रण करने के उद्देश्य से डायरी के रूप में लिखा था। यह उपन्यास आरम्भ से ही पाठक की जिज्ञासा को जगाने में सफल है। उपन्यास की नायिका शानो हिन्दी साहित्य का वह चरित्र है जिसे पाठक हमेशा याद रखेंगे।
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