उपन्यास >> अर्थचक्र अर्थचक्रशीला झुनझुनवाला
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अर्थचक्र...
ArthChakra - A Hindi Book by Sheela Jhunjhunwala
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
अर्थचक्र यह उपन्यास ‘अर्थ’ के उस ‘चक्र’ को सम्बोधित है जो हमारे समय की नाभि में स्थित है और जिससे हमारे समाज का लगभग हर अंग परिचालित हो रहा है। यह उपन्यास इस (दुष्) चक्र को आईना दिखाते हुए उसके सामने मानव-अस्तित्व के उन मूल्यों को स्थापित करता है जो हर युग, और हर संकट को लाँघकर मनुष्य की झोली में विरासत की तरह बाकी रह जाते हैं।
उपन्यास की कथा समकालीन सामाजिक जीवन के नैतिक स्खलन, शासन-तंत्र की अर्थ-केन्द्रित संवेदनहीनता, व्यवस्था और असामाजिक तत्त्वों की आपसी टकराहटों तथा कदम-कदम पर उपस्थित प्रलोभनों और बहकावों से होते हुए हमें एक रोमांचकारी अनुभव-जगत में ले जाती है; और कई कोणों से धन लिप्सा पर आधारित इस व्यवस्था के क्षरणशील कोनों-अँतरों को उजागर करती है।
उपन्यास का नायक आकाश और जीवन के सामाजिक-नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए उसका संघर्ष बार-बार हमें एक भावनात्मक उद्वेलन प्रदान करते हैं; और अपनी निष्ठा के रूप में भविष्य के लिए एक आश्वस्तिकारी संदेश देते हैं सुधी पाठकों के लिए बार-बार पढ़ने योग्य एक संग्रहणीय औपन्यासिक कृति।
उपन्यास की कथा समकालीन सामाजिक जीवन के नैतिक स्खलन, शासन-तंत्र की अर्थ-केन्द्रित संवेदनहीनता, व्यवस्था और असामाजिक तत्त्वों की आपसी टकराहटों तथा कदम-कदम पर उपस्थित प्रलोभनों और बहकावों से होते हुए हमें एक रोमांचकारी अनुभव-जगत में ले जाती है; और कई कोणों से धन लिप्सा पर आधारित इस व्यवस्था के क्षरणशील कोनों-अँतरों को उजागर करती है।
उपन्यास का नायक आकाश और जीवन के सामाजिक-नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए उसका संघर्ष बार-बार हमें एक भावनात्मक उद्वेलन प्रदान करते हैं; और अपनी निष्ठा के रूप में भविष्य के लिए एक आश्वस्तिकारी संदेश देते हैं सुधी पाठकों के लिए बार-बार पढ़ने योग्य एक संग्रहणीय औपन्यासिक कृति।
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