कहानी संग्रह >> रौंदा हुआ निवाला रौंदा हुआ निवालासदानंद देशमुख
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रौंदा हुआ निवाला....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
गावों में गुजर-बसर कर रहे लोगों के दैनंदिन जीवन में घटने वाली घटनाओ को रेखांकित करने वाली कहानियों का संकलन है - रौंदा हुआ निवाला ! अपनी इन तेरह कहानियों में लेखक ने गाँव में व्याप्त विभिन्न समस्याओं की ओर पाठको का ध्यान आकर्षित किया है ! ऐसी समस्याएँ, जिनसे प्रतिदिन उन्हें दो-चार होना पड़ता है! चाहे दहेज़ के अभाव में आत्महत्या करनेवाली युवती का मुद्दा हो, या फिर पत्नी द्वारा छले गए पति का, चाहे सूखा पड़ने पर पशुओं के चारे के लिए दर-दर भटकते किसान का हो या फिर उपज से ज्यादा खेती में आनेवाली लागत का; या फिर सरकारी कर्मचारियों द्वारा भोली-भाली जनता को कानूनी दांव-पेच में फंसाकर लुटने का, या सिर्फ वादा करनेवाले नेताओं का-लेखक ने बड़ी सिददत से अपने इस संकलन में इन जीवंत मुद्दों को उकेरा है ! अभावों के बीच, विषम परिस्थितयों में भी जीवन जीने की ललक इस संग्रह को विशिष्ठ बनाती है !
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