पर्यावरण एवं विज्ञान >> राकेट की कहानी राकेट की कहानीगुणाकर मुले
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राकेट की कहानी...
आतिशबाज़ी में या त्योहारों के अवसरों पर जिन ‘राकेटों’ को उड़ाया जाता है, उनका आविष्कार सदियों पहले हुआ था। मनोरंजन करनेवाले इन छोटे राकेटों में और आदमी को चंद्रमा तक पहुंचानेवाले आज के भीमकाय राकेटों में सिद्धांततः कोई अंतर नहीं है। आतिशबाजी के ‘राकेट’ भी निर्वात में यात्रा कर सकते हैं लेकिन वह इतना शक्तिशाली नहीं होते, इसलिए कुछ मीटर ऊपर जाकर नीचे आ गिरते हैं परंतु अब ऐसे राकेट बन चुके हैं जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को लांघते हुए बाह्य अंतरिक्ष तक पहुंच जाते हैं। यही एक राकेट-यान है जो अंतरिक्ष में यात्रा कर सकता है। इसी मानव-निर्मित यान ने अंतरिक्ष-यात्रा के युग का उद्घाटन किया है।
राकेट-यान ने धरती के मानव को चंद्रमा तक पहुंचाया है। निकट भविष्य में यह यान आदमी को सौर-मंडल के सभी ग्रहों तक पहुंचा देगा, और आगे यही यान आदमी को दूसरे तारों के ग्रहों तक या आकाशगंगाओं की दूरस्थ सीमाओं तक भी लेकर जा सकता है। श्री गुणाकर मुळे ने पी.एस.एल.वी. राकेट-यान श्रृंखला तक के विकास, निर्माण और उन्हें अंतरिक्ष में छोड़े जाने की कहानी को इस पुस्तक में बड़ी ही रोचक और सरल भाषा में लिखा है और राकेट विज्ञान के तमाम सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक पहलुओं से पाठकों को अवगत कराया है।
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