संस्कृति >> स्वतंत्रता और संस्कृति स्वतंत्रता और संस्कृतिसर्वपल्ली राधाकृष्णन
|
5 पाठकों को प्रिय 197 पाठक हैं |
स्वतंत्रता और संस्कृति...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘भारत विश्व का आध्यात्मिक गुरु है’ ऐसा निर्विवाद कथन है। इसी कथन को सार्थक करती है डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रस्तुत कृति ‘भारत और विश्व’।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन दर्शन और आध्यात्म के महान आख्याता के रूप में विश्वविख्यात हैं। उनके गहन-गंभीर अध्ययन के सुपरिणाम इस ग्रन्थ का प्रतिपाद्य हैं।
प्रस्तुत पुस्तक इस महामनीषी के ऐसे निबन्धों/आलेखों का संग्रह है जिनमें उन्होंने भारतीय मनीषा का गुणानुवाद ही नहीं किया वरन् उसे सही सन्दर्भों में व्याख्यायित किया है। इस संग्रह की एक अन्यतम विशेषता है इसकी बहुआयामिता। इन आलेखों में जहां भारतीय महापुरुषों पर आलेख हैं, तो वहीं भारत और विश्व के अनेकों देशों का तुलनात्मक अध्ययन है। ऐसे आलेखों में महात्मा बुद्ध और उनका संदेश, महात्मा महावीर, श्रीकृष्ण, कालिदास, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, इकबाल, नये भारत की आकांक्षाएं, भारतीय प्रगति, भारत और हिन्देशिया, भारत और चीन, भारत और जापान, भारत और मिश्र, भारत और युगोस्लाविया, भारत और सोवियत संघ और विश्व बन्धुत्व विशेष रूप से पठनीय हैं। क्योंकि प्रस्तुत ग्रंथ का मुख्य प्रतिपाद्य ही भारत और विश्व है। इनके अतिरिक्त सामाजिक सरोकारों को रेखांकित करते ऐसे आलेखों में भारतीय नारी, शिक्षा का उद्देश्य, साहित्य अकादमी, लेखक और वर्तमान गतिरोध, वर्णभेद और अस्पृश्यता निवारण, पृथ्वी पर एक परिवार हो, मानवीय विकास का अर्थ, विज्ञान, सेवा और पवित्रता, विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
प्रस्तुत ग्रंथ आध्यात्म, दर्शन, राजनीति, आर्थिक एवं सामाजिक सरोकारों के सन्दर्भ में भारत और विश्व को व्याख्यायित ही नहीं करता वरन् विद्वान और सजग पाठक के समक्ष अनेकों अनुत्तरित प्रश्नों का समाधान भी प्रस्तुत करता है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन दर्शन और आध्यात्म के महान आख्याता के रूप में विश्वविख्यात हैं। उनके गहन-गंभीर अध्ययन के सुपरिणाम इस ग्रन्थ का प्रतिपाद्य हैं।
प्रस्तुत पुस्तक इस महामनीषी के ऐसे निबन्धों/आलेखों का संग्रह है जिनमें उन्होंने भारतीय मनीषा का गुणानुवाद ही नहीं किया वरन् उसे सही सन्दर्भों में व्याख्यायित किया है। इस संग्रह की एक अन्यतम विशेषता है इसकी बहुआयामिता। इन आलेखों में जहां भारतीय महापुरुषों पर आलेख हैं, तो वहीं भारत और विश्व के अनेकों देशों का तुलनात्मक अध्ययन है। ऐसे आलेखों में महात्मा बुद्ध और उनका संदेश, महात्मा महावीर, श्रीकृष्ण, कालिदास, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, इकबाल, नये भारत की आकांक्षाएं, भारतीय प्रगति, भारत और हिन्देशिया, भारत और चीन, भारत और जापान, भारत और मिश्र, भारत और युगोस्लाविया, भारत और सोवियत संघ और विश्व बन्धुत्व विशेष रूप से पठनीय हैं। क्योंकि प्रस्तुत ग्रंथ का मुख्य प्रतिपाद्य ही भारत और विश्व है। इनके अतिरिक्त सामाजिक सरोकारों को रेखांकित करते ऐसे आलेखों में भारतीय नारी, शिक्षा का उद्देश्य, साहित्य अकादमी, लेखक और वर्तमान गतिरोध, वर्णभेद और अस्पृश्यता निवारण, पृथ्वी पर एक परिवार हो, मानवीय विकास का अर्थ, विज्ञान, सेवा और पवित्रता, विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
प्रस्तुत ग्रंथ आध्यात्म, दर्शन, राजनीति, आर्थिक एवं सामाजिक सरोकारों के सन्दर्भ में भारत और विश्व को व्याख्यायित ही नहीं करता वरन् विद्वान और सजग पाठक के समक्ष अनेकों अनुत्तरित प्रश्नों का समाधान भी प्रस्तुत करता है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book