विविध >> तफतीश तफतीशमितर सेन मीत
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तफतीश...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘मैं लोगों को केवल यही बताना चाहता हूं कि जैसा जीवन वे जी रहे हैं, वो कितना घटिया और रुखा है। जब वे इस बात को समझ जाएंगे, वे इसे ज़रूर बदल देंगे। जब तक लोग नई ज़िंदगी जीने नहीं लगते, मैं यह बात बार-बार दोहराता रहूंगा।’
- चेखव
पुलिस :.... पुलिस न केवल अपराधों को बंद करने, अपराधियों को गिरफ़्तार करने और जान-माल की रक्षा करने में ही असफल रही, बल्कि हमारी पुलिस स्वयं अत्याचार का एक साधन है और लोगों के नैतिक पतन का प्रबल कारण बन गई है।
(1853 में अंग्रेज़ों की ‘इंडिया रिफॉर्म सोसायटी’ पत्रिका का सर्वे)
पंजाबी के वरिष्ठ कथाकार मितर सेन मीत की भाषा का सौन्दर्य उनको एक विशिष्ठ कथाकार की श्रेणी में खड़ा करता है।
मितर सेन मीत की रचना में समाजशास्त्रीय कल्पना की क्रियाशीलता को समझने की जरूरत है। समाजशास्त्रीय कल्पना एक चरित्र की व्यक्तिगत परेशानियों की शिनाख्त करती है तो दूसरी ओर सामाजिक संरचना से उन परेशानियों के संबंधों की पहचान भी करती-कराती है। इस प्रक्रिया में जनजीवन की यथार्थ, सत्ता और व्यवस्था का झूठा सच भारतीय मनुष्य के जीवन की त्रासदियों की जटिल समग्रता पाठकों के सामने आती है।
तफ़तीश का अनुवाद जानी मानी अनुवादिका डा. किरण बंसल ने किया है।
(1853 में अंग्रेज़ों की ‘इंडिया रिफॉर्म सोसायटी’ पत्रिका का सर्वे)
पंजाबी के वरिष्ठ कथाकार मितर सेन मीत की भाषा का सौन्दर्य उनको एक विशिष्ठ कथाकार की श्रेणी में खड़ा करता है।
मितर सेन मीत की रचना में समाजशास्त्रीय कल्पना की क्रियाशीलता को समझने की जरूरत है। समाजशास्त्रीय कल्पना एक चरित्र की व्यक्तिगत परेशानियों की शिनाख्त करती है तो दूसरी ओर सामाजिक संरचना से उन परेशानियों के संबंधों की पहचान भी करती-कराती है। इस प्रक्रिया में जनजीवन की यथार्थ, सत्ता और व्यवस्था का झूठा सच भारतीय मनुष्य के जीवन की त्रासदियों की जटिल समग्रता पाठकों के सामने आती है।
तफ़तीश का अनुवाद जानी मानी अनुवादिका डा. किरण बंसल ने किया है।
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