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ऐतिहासिक >> सोमतीर्थ

सोमतीर्थ

रघुवीर चौधरी

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :256
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9102
आईएसबीएन :9788183616867

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सरस भाषा एवं रोचक शैली में यह उपन्यास पढ़ते हुए महसूस ही नहीं होता कि हम गुजराती उपन्यास का रूपान्तर पढ़ रहे हैं।

Somteertha - A Hindi Book by Raghuveer Chaudhary

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सोमतीर्थ महमूद गजनवी ने सोमनाथ लूटा, उसके बाद भारत के हिन्दुओं में मुस्लिमों के प्रति अरुचि जागी, जो और दृढ़ होती गई। ऐसा होना नहीं चाहिए था। महमूद के दो मुख्य सेनापति हिन्दू थे और महमूद धर्म के अगुआ के रूप में नहीं आया था। उसकी भूख सत्ता और सम्पत्ति की थी। उसके धर्माध्यक्ष भी उससे सावधान रहते थे। अन्त में वह भाग निकला। उस समय भारत में बचे हुए उसके साथी शादी कर यहाँ के समाज में मिल गए - जिनसे बाढेल और शेखावत हुए। यहाँ तत्कालीन राजनीतिक-सामाजिक स्थितियों का वर्णन करते हुए उपन्यासकार ने लोगों के निजी सुख-दुख तथा दाव-पेंच को भी संजीदगी से उजागर किया है। लेखक ने यहाँ दो महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं -

(1) सत्ता और सम्पत्ति के लोभी राजपुरुषों द्वारा धार्मिक प्रजाजनों के बीच खड़ी की गई गलतफहमी दूर करना।

(2) सृष्टि में व्याप्त कल्याणकारी सौन्दर्य को शिवतत्त्व के रूप में निरूपित करना। ऐतिहासिक तथ्यों के प्रति वफादार रहते हुए लेखक ने कहीं-कहीं छूट भी ली है लेकिन इस तरह कि कथासृष्टि के वातावरण में उपकारक सिद्ध हो। सरस भाषा एवं रोचक शैली में यह उपन्यास पढ़ते हुए महसूस ही नहीं होता कि हम गुजराती उपन्यास का रूपान्तर पढ़ रहे हैं।

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