अतिरिक्त >> आपको अपने जीवन में क्या करना है आपको अपने जीवन में क्या करना हैजे. कृष्णमूर्ति
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आपको अपने जीवन में क्या करना है...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
क्या आपकी दिलचस्पी महज किसी कैरियर की दौड़ में है, या आपकी मंशा यह जानने की है कि आप जीवन में वस्तुतः क्या करना पसंद करेंगे-ऐसा काम जिससे आपको सचमुच लगाव हो ?
क्या आज की दुनिया में जीने के लिए महत्त्वाकांक्षा और होड़ वाकई जरूरी है ?
व्यक्ति और समाज की समस्याओं जैसे कि गरीबी, भ्रष्टाचार और हिंसा के बारे में आपकी क्या सोच है ?
अपने माता-पिता और शिक्षकों के साथ आपके संबंध की बुनियादी क्या है ? आज्ञापालन ? विद्रोह ?...या फिर समझ ?
प्रेम और विवाह के प्रति आपका नज़रिया क्या है ?
ऊब, ईर्ष्या, किसी के बर्ताव से चोट पहुंचना, मज़ा कायम रखने की चाह, डर और दुख-अपने जीवन के इन सवालों से आप किस तरह दो-चार होते हैं ?
क्या हो सकता है मनुष्य के जीवन का उद्देश्य ? मृत्यु, ध्यान, धर्म और ईश्वर के बारे में आपका क्या रुख है ?
जीवन से जुड़े इन जीवंत प्रश्नों का गहन अन्वेषण जे. कृष्णमूर्ति का बीसवीं सदी के मनोवैज्ञानिक व शैक्षिक विचार में मौलिक तथा प्रामाणिक योगदान है। विश्न के विभिन्न भागों में कृष्णमूर्ति जब युवावर्ग को संबोधित करते थे, उनसे वार्तालाप करते थे, तो वह उन्हें कोई फलसफा नहीं सिखा रहे होते थे, वह तो जीवन को सीधे-सीधे देख पाने की कला के बारे में चर्चा कर रहे होते थे-और वह उनसे बात करते थे एक मित्र की तरह, किसी गुरु या कीन्हीं मसलों के विशेषज्ञों के तौर पर नहीं।
‘आपको अपने जीवन में क्या करना है ?’ कृष्णमूर्ति की विभिन्न पुस्तकों से संकलित अपने प्रकार का पहला संग्रह हैं, जिसमें विशेषकर युवावर्ग को शिक्षा तथा जीवन के विषय में कृष्णमूर्ति की विशद दृष्टि का व्यवस्थित एवम् क्रमबद्ध परिचय प्राप्त होता है ?
क्या आज की दुनिया में जीने के लिए महत्त्वाकांक्षा और होड़ वाकई जरूरी है ?
व्यक्ति और समाज की समस्याओं जैसे कि गरीबी, भ्रष्टाचार और हिंसा के बारे में आपकी क्या सोच है ?
अपने माता-पिता और शिक्षकों के साथ आपके संबंध की बुनियादी क्या है ? आज्ञापालन ? विद्रोह ?...या फिर समझ ?
प्रेम और विवाह के प्रति आपका नज़रिया क्या है ?
ऊब, ईर्ष्या, किसी के बर्ताव से चोट पहुंचना, मज़ा कायम रखने की चाह, डर और दुख-अपने जीवन के इन सवालों से आप किस तरह दो-चार होते हैं ?
क्या हो सकता है मनुष्य के जीवन का उद्देश्य ? मृत्यु, ध्यान, धर्म और ईश्वर के बारे में आपका क्या रुख है ?
जीवन से जुड़े इन जीवंत प्रश्नों का गहन अन्वेषण जे. कृष्णमूर्ति का बीसवीं सदी के मनोवैज्ञानिक व शैक्षिक विचार में मौलिक तथा प्रामाणिक योगदान है। विश्न के विभिन्न भागों में कृष्णमूर्ति जब युवावर्ग को संबोधित करते थे, उनसे वार्तालाप करते थे, तो वह उन्हें कोई फलसफा नहीं सिखा रहे होते थे, वह तो जीवन को सीधे-सीधे देख पाने की कला के बारे में चर्चा कर रहे होते थे-और वह उनसे बात करते थे एक मित्र की तरह, किसी गुरु या कीन्हीं मसलों के विशेषज्ञों के तौर पर नहीं।
‘आपको अपने जीवन में क्या करना है ?’ कृष्णमूर्ति की विभिन्न पुस्तकों से संकलित अपने प्रकार का पहला संग्रह हैं, जिसमें विशेषकर युवावर्ग को शिक्षा तथा जीवन के विषय में कृष्णमूर्ति की विशद दृष्टि का व्यवस्थित एवम् क्रमबद्ध परिचय प्राप्त होता है ?
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