अतिरिक्त >> व्यंग्य सर्जक नरेन्द्र कोहली व्यंग्य सर्जक नरेन्द्र कोहलीप्रेम जनमेजय
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व्यंग्य सर्जक नरेन्द्र कोहली...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सुप्रसिद्ध साहित्यकार नरेन्द्र कोहली का रचना-संसार बहुआयामी है। विभिन्न विधाओं में उन्होंने रेखांकित करने योग्य रचनाएं लिखी हैं। पौराणिक व जीवनीपरक उपन्यासों के क्षेत्र में तो उन्हें शीर्षस्थ लेखक स्वीकार किया जाता है।
नरेन्द्र कोहली के लेखन का एक जरूरी पक्ष उनका व्यंग्य साहित्य है। ‘व्यंग्य सर्जक : नरेन्द्र कोहली’ पुस्तक में इस पक्ष का कई दृष्टि से विवेचन-विश्लेषण किया गया है। संपादक प्रेम जनमेजय ने पूरे कौशल के साथ व्यंग्य की परंपरा में कोहली को स्थापित किया है। ‘व्यंग्य का नरेन्द्र कोहलीय दृष्टिकोण’ में यज्ञ शर्मा, प्रेम जनमेजय, हरीश नवल, मनोहर पुरी आदि लेखकों ने कोहली के व्यंग्य लेखन में उनकी रचनात्मक विशिष्टता तलाशी है। प्रेम जनमेजय के शब्दों में, ‘‘व्यंग्य में शिल्प के विभिन्न कोणों एवं रूपों की प्रस्तुति नरेन्द्र कोहली की व्यंग्य रचनाओं के महत्त्व को रेखांकित करती है। निश्चित ही व्यंग्यकार की व्यंग्य रचनाओं ने व्यंग्य साहित्य की परंपरा को जीवित रखा है, उसे दृढ़ता एवं नवीनता प्रदान की है।’’
पुस्तक के दूसरे हिस्से ‘एक व्यक्ति नरेन्द्र कोहली’ में कोहली के व्यक्तित्व को केंद्र में रखकर ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यबाला, गिरीश पंकज, मधुरिमा कोहली, कमलेश भारतीय, विवेकी राय, मीरा सीकरी आदि ने संस्मरण-शिल्प में उनसे जुड़ी बातें व्यक्त की हैं। मीरा सीकरी के अनुसार, ‘‘...नरेन्द्र कोहली का कृतित्व ही नहीं व्यक्तित्व भी उन्हीं मूल्यों को अपनी जिंदगी में मूर्त करता है जिनकी गरिमामय अभिव्यक्ति वह अपने साहित्य में कर रहा है। बहुत आसानी से नरेन्द्र कोहली के संपूर्ण व्यक्तित्व को उनके साहित्य में ढूंढा जा सकता है।’’ सभी लेखों की एक समान विशेषता है कि वे लागलपेट के बिना अपनी बात सामने रखते हैं। रचनाकार को मंडित या खंडित करने की प्रवृत्ति से दूर ये लेख कोहली के व्यंग्य साहित्य व स्वभाव का समुचित परीक्षण करते हैं।
प्रेम जनमेजय द्वारा संपादित यह पुस्तक सामान्य पाठकों व शोधकर्ताओं के लिए समानरूपेण उपयोगी है।
नरेन्द्र कोहली के लेखन का एक जरूरी पक्ष उनका व्यंग्य साहित्य है। ‘व्यंग्य सर्जक : नरेन्द्र कोहली’ पुस्तक में इस पक्ष का कई दृष्टि से विवेचन-विश्लेषण किया गया है। संपादक प्रेम जनमेजय ने पूरे कौशल के साथ व्यंग्य की परंपरा में कोहली को स्थापित किया है। ‘व्यंग्य का नरेन्द्र कोहलीय दृष्टिकोण’ में यज्ञ शर्मा, प्रेम जनमेजय, हरीश नवल, मनोहर पुरी आदि लेखकों ने कोहली के व्यंग्य लेखन में उनकी रचनात्मक विशिष्टता तलाशी है। प्रेम जनमेजय के शब्दों में, ‘‘व्यंग्य में शिल्प के विभिन्न कोणों एवं रूपों की प्रस्तुति नरेन्द्र कोहली की व्यंग्य रचनाओं के महत्त्व को रेखांकित करती है। निश्चित ही व्यंग्यकार की व्यंग्य रचनाओं ने व्यंग्य साहित्य की परंपरा को जीवित रखा है, उसे दृढ़ता एवं नवीनता प्रदान की है।’’
पुस्तक के दूसरे हिस्से ‘एक व्यक्ति नरेन्द्र कोहली’ में कोहली के व्यक्तित्व को केंद्र में रखकर ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यबाला, गिरीश पंकज, मधुरिमा कोहली, कमलेश भारतीय, विवेकी राय, मीरा सीकरी आदि ने संस्मरण-शिल्प में उनसे जुड़ी बातें व्यक्त की हैं। मीरा सीकरी के अनुसार, ‘‘...नरेन्द्र कोहली का कृतित्व ही नहीं व्यक्तित्व भी उन्हीं मूल्यों को अपनी जिंदगी में मूर्त करता है जिनकी गरिमामय अभिव्यक्ति वह अपने साहित्य में कर रहा है। बहुत आसानी से नरेन्द्र कोहली के संपूर्ण व्यक्तित्व को उनके साहित्य में ढूंढा जा सकता है।’’ सभी लेखों की एक समान विशेषता है कि वे लागलपेट के बिना अपनी बात सामने रखते हैं। रचनाकार को मंडित या खंडित करने की प्रवृत्ति से दूर ये लेख कोहली के व्यंग्य साहित्य व स्वभाव का समुचित परीक्षण करते हैं।
प्रेम जनमेजय द्वारा संपादित यह पुस्तक सामान्य पाठकों व शोधकर्ताओं के लिए समानरूपेण उपयोगी है।
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