अतिरिक्त >> नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलालाकृतिका भारद्वाज, अशोक कुमार शर्मा
|
6 पाठकों को प्रिय 11 पाठक हैं |
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
पहली नज़र में, मलाला युसुफजई, एक नाजुक, कमसिन और पड़ोस में ही रहनेवाली कोई साधारण बालिका सी दिखती है। 17 साल की इस मासूम बच्ची के हौसलों की चट्टान से टकराकर इस्लामी आतंक का पर्याय बने तालिबान की अकड़ को चूर-चूर होते पूरी दुनिया ने देखा है। मलाला वो नाम है जिसकी बदौलत आज तक अशांति, आतंक और अपराधों के लिए बदनाम पाकिस्तान को पूरी मानवता ने इज्जत की नज़र से देखना शुरू किया है। मलाला नोबेल पुरस्कार विजेताओं के इतिहास का सबसे युवा चेहरा और विशव में नारी-समानता, शिक्षा और मुक्ति की पहचान बन गयी है। कभी मलाला ने लड़कियों की पढ़ाई पर तालिबानी रोक के खिलाफ आवाज उठायी थी और तालिबानी हत्यारों ने 9 अक्टूबर 2012 को उसे गोली मार दी थी, मौत को मात देकर आज वही लड़की पूरी दुनिया में महिलाओं के आत्म गौरव का आदर्श बन गयी है।
आभार
आप किसी प्रेरणा के अभाव में लेखक बनने की कल्पना तक नहीं कर सकते, ऐसा होना असंभव है। जैसा कि हम कहते हैं कि हर सफल प्रयास के पीछे, बहुत से लोगों का हाथ होता है, यहां भी ऐसा ही है। मैं डायमंड पॉकेट बुक्स के चेयरमैन नरेंद्र कुमार वर्मा जी की हृदय से आभारी हूं, जो इस पुस्तक लेखन के दौरान मेरे सहायक रहे। उन्होंने मेरी लेखन क्षमता पर अपना विश्वास प्रकट किया और मुझे बताया कि कुछ भी असंभव नहीं होता, उनके कारण ही मैं अपनी पहली, गैर-शैक्षिक पुस्तक के लेखन में सफल रही। यहां मैं अपने सह-लेखक डॉ. अशोक कुमार शर्मा का नाम भी विशेष रूप से लेना चाहूंगी जिन्होंने इस परियोजना में मेरी यथासंभव सहायता की और मुझे समझाया कि वास्तव में पुस्तक लेखन किसे कहते हैं।
आज मैं जो भी हूं, जहां भी हूं; उसका श्रेय जाता है मेरे माता-पिता श्री एम. डी. शर्मा तथा श्रीमती राजरानी शर्मा; मेरे ताऊजी श्री रामनिवास शर्मा तथा श्री राजेंद्र शर्मा जी को; इसके अतिरिक्त दो लोग सदैव मेरे मित्रों की तरह हर हाल में शक्तिस्तंभ बन कर मुझे समर्थन देते आए हैं, मेरे मामा जी श्री विवेकानंद शर्मा तथा मेरा छोटा भाई भव्य भारद्वाज। वे दोनों मेरे लिए मित्रों से भी कहीं अधिक हैं और हमारे बीच एक आत्मीय संबंध है। उनके द्वारा मिले सहयोग के कारण ही मैं जीवन के अनेक उतार-चढ़ाव को सफलतापूर्वक पार करने के योग्य बन सकी। मैं अपने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों, उनके प्यारे-प्यारे नन्हे-मुन्ने और मित्रों से मिले अविस्मरणीय सहयोग को कभी नहीं भुला सकती।
अंत में, मैं ईश्वर को धन्यवाद देना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे अपने सपने को साकार करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया और मैं इस विशेष पुस्तक पर लेखिका के रूप में अपना नाम देखने में सफल रही।
वुड्स आर लवली डार्क एंड डीप,
मलाला युसूफ़ज़ई, संसार की सबसे प्रसिद्ध लड़कियों में से एक है। वह अपने उन कार्यो व प्रयासों के लिए जानी जाती है, जिनके कारण उसे 2012 में तालिबानी आतंकियों की गोली का शिकार होना पड़ा। यही वह समय था, जब जिआउद्दीन युसूफ़ज़ई तथा तोर पेकई की बेटी गुल मकई के लिए सारी दुनिया उठ खड़ी हुई। उसने आवाज़ उठाई। उसकी आतंकवादी दल से कोई दुश्मनी नहीं थी, वह तो केवल इतना चाहती थी कि उसे स्कूल जा कर पढ़ाई करने दी जाए। वह यही चाहती थी कि उसके और पढ़ाई के बीच कभी कोई बाधा न आए। वह पढ़ना चाहती थी, एक डाँक्टर बनना चाहती थी और उसने इस तरह प्रसिद्ध होने के बारे में कभी सोचा तक नहीं था। वह तो आम बच्चों की तरह पलना-बढ़ना चाहती थी, जो प्रतिदिन स्कूल जाते हैं और नई व अनूठी बातों की जानकारी के साथ घर लौटते हैं।
....उसका जीवन दूसरों की तरह साधारण बनने के लिए नहीं था। उसे गोली मार दी गई और वह मौत और ज़िंदगी के बीच सांसें गिनने लगी, परंतु नियति ने उसके लिए कुछ और ही रच रखा था।
उसे अपनी वीरता व साहस प्रदर्शन के लिए अनेक पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। इस तरह उसे लगा कि उसे दुनिया की उन लड़कियों के लिए भी आवाज़ उठानी चाहिए, जिन्हें शिक्षा पाने का अधिकार नहीं मिलता। हालांकि मलाला बहुत साहसी है और हमें पूरा यकीन है कि वह वही करने में सफल होगी, जो उसने सोच रखा है। हम केवल अपनी ओर से उसके लिए प्रार्थना कर सकते हैं और ईश्वर से उसकी सलामती की दुआ मांग सकते हैं।
कृतिका भारद्वाज
आज मैं जो भी हूं, जहां भी हूं; उसका श्रेय जाता है मेरे माता-पिता श्री एम. डी. शर्मा तथा श्रीमती राजरानी शर्मा; मेरे ताऊजी श्री रामनिवास शर्मा तथा श्री राजेंद्र शर्मा जी को; इसके अतिरिक्त दो लोग सदैव मेरे मित्रों की तरह हर हाल में शक्तिस्तंभ बन कर मुझे समर्थन देते आए हैं, मेरे मामा जी श्री विवेकानंद शर्मा तथा मेरा छोटा भाई भव्य भारद्वाज। वे दोनों मेरे लिए मित्रों से भी कहीं अधिक हैं और हमारे बीच एक आत्मीय संबंध है। उनके द्वारा मिले सहयोग के कारण ही मैं जीवन के अनेक उतार-चढ़ाव को सफलतापूर्वक पार करने के योग्य बन सकी। मैं अपने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों, उनके प्यारे-प्यारे नन्हे-मुन्ने और मित्रों से मिले अविस्मरणीय सहयोग को कभी नहीं भुला सकती।
अंत में, मैं ईश्वर को धन्यवाद देना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे अपने सपने को साकार करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया और मैं इस विशेष पुस्तक पर लेखिका के रूप में अपना नाम देखने में सफल रही।
वुड्स आर लवली डार्क एंड डीप,
एंड माइल्स टू गो, बिफोर आई स्लीप...
कृतिका भारद्वाज
प्रस्तावना
....उसका जीवन दूसरों की तरह साधारण बनने के लिए नहीं था। उसे गोली मार दी गई और वह मौत और ज़िंदगी के बीच सांसें गिनने लगी, परंतु नियति ने उसके लिए कुछ और ही रच रखा था।
उसे अपनी वीरता व साहस प्रदर्शन के लिए अनेक पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। इस तरह उसे लगा कि उसे दुनिया की उन लड़कियों के लिए भी आवाज़ उठानी चाहिए, जिन्हें शिक्षा पाने का अधिकार नहीं मिलता। हालांकि मलाला बहुत साहसी है और हमें पूरा यकीन है कि वह वही करने में सफल होगी, जो उसने सोच रखा है। हम केवल अपनी ओर से उसके लिए प्रार्थना कर सकते हैं और ईश्वर से उसकी सलामती की दुआ मांग सकते हैं।
कृतिका भारद्वाज
अशोक कुमार शर्मा
|
लोगों की राय
No reviews for this book