मनोरंजक कथाएँ >> गु्ल्लू और सतरंगी 2 गु्ल्लू और सतरंगी 2श्रीनिवास वत्स
|
10 पाठकों को प्रिय 120 पाठक हैं |
‘गुल्लू और एक सतरंगी’ का दूसरा खंड
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
अपनी बात
प्रिय बाल पाठको !
‘गुल्लू और एक सतरंगी’ का पहला खंड आपने पढ़ा। पाठकों की जो प्रतिक्रियाएँ मिलीं वे अपेक्षा के अनुकूल रहीं।
चूँकि यह हिंदी का प्रथम बृहत् बाल उपन्यास है, अतः शोधार्थियों ने बड़े चाव से इसे शोध के लिए चुना। एम०फिल्० अथवा पी-एच०डी० के इच्छुक अनेक छात्रों ने इस संबंध में चर्चा हेतु मुझसे संपर्क किया।
मैं छात्रों तथा उनके गाइड प्रोफेसरों को एतदर्थ धन्यवाद देना चाहूँगा।
नन्हे पाठक जो अभी बाल्यावस्था/किशोरावस्था के दौर से गुजर रहे हैं वे तो बड़े होकर ही शोध, एम०फिल्०, पी-एच०डी० जैसी शब्दावली का अर्थ समझ पाएँगे। उन्हें मेरी सलाह है अभी बचपन का आनंद उठाएँ और उपन्यास का दूसरा खंड पढ़ें।
हाँ, जब वे शोध करने की अवस्था में पहुँचेंगे, संभव है तब तक इस उपन्यास के अधिकांश खंड प्रकाशित हो चुके होंगे। तब ये नए शोधार्थी समग्र उपन्यास पर शोध कर सकेंगे।
आपकी जिज्ञासा के लिए यहाँ यह भी इंगित करना चाहूँगा कि तीसरे खंड में सतरंगी और गुल्लू दोनों के जीवन में एक नया मोड़ आने वाला है। लेकिन उसे जानने के लिए अभी तीसरे खंड की प्रतीक्षा करनी होगी। तब तक दूसरे खंड का आनंद लीजिए और बताइए आपको सतरंगी और गुल्लू की मित्रता कैसी लग रही है?
शेष शुभम् !
आपका मित्र
श्रीनिवास वत्स
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book