लेख-निबंध >> सोच क्या है ? सोच क्या है ?जे. कृष्णमूर्ति
|
5 पाठकों को प्रिय 450 पाठक हैं |
अवलोकन अपने आप में ही एक कर्म है, यही वह प्रज्ञा है जो समस्त भ्रांति तथा भय से मुक्त कर देती है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book