विविध >> भुखमरी का स्त्रीलिंग भुखमरी का स्त्रीलिंगसचिन कुमार जैन
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भूख की भी जाति होती है, लिंग होता है...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भूख, अब भूख नहीं रह गई है। उसकी भी जाचि होती है, लिंग होता है। भूख की पीड़ा केवल शरीर की पीड़ा नहीं होती।
देश के गोदामों में करोड़ों टन अनाज भरा हुआ है फिर भी गरीब, वंचित औक आदिवासी भूख से मर हे हैं, यह कहकर हमने सत्ता को अदालत में खड़ा कर दिया। दलील दी कि नागरिकों के संवैधानिक व मौलिक अधिकारो का हनन हो रहा है।
अखबारों ने खबरें छापी। कवियों ने कवितायें गढ़ीं और अर्थशास्त्रियों ने आंकड़ों के ढेर लगा दिये। जो सड़क पर नारे लगा सकता था उसने गले की नसें खीचकर नारे लगाये।
देश के गोदामों में करोड़ों टन अनाज भरा हुआ है फिर भी गरीब, वंचित औक आदिवासी भूख से मर हे हैं, यह कहकर हमने सत्ता को अदालत में खड़ा कर दिया। दलील दी कि नागरिकों के संवैधानिक व मौलिक अधिकारो का हनन हो रहा है।
अखबारों ने खबरें छापी। कवियों ने कवितायें गढ़ीं और अर्थशास्त्रियों ने आंकड़ों के ढेर लगा दिये। जो सड़क पर नारे लगा सकता था उसने गले की नसें खीचकर नारे लगाये।
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