विविध >> पानी पानीपंकज थुक्ला
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तुम्हीं से है अंकुरण, जीवन, पतझड़। तुम्हीं तो हो सृष्टा, सहगामी, संहारक।।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
दो अक्षर का छोटा सा शीर्षक और छोटी सी पुस्तिका। लेकिन यह अपने में पूरा संसार समेटे हुये है।
पानी की तरलता और सरलता की तरह ही पंकज शुक्ला विलकुल सहज ढंग से हमें पानी की गहरी से गहरी बातों में उतारते जाते हैं, उसमें डुबोते नहीं, तैराते ले जाते हैं।
इसमें पानी का ज्ञान है, पानी का विज्ञान भी है। वे हमें बताते हैं कि किस तरह पानी दो छोर जोड़ सकता है तो यह भी कि पानी का उपयोग हम दो छोर तोड़ने में भी करने लगे हैं।
कोई बताएगा कि तीसरा युद्ध पानी को लेकर होगा तो पंकज बता रहे हैं कि अरे, यह लड़ाई तो हर मुहल्ले में, हर प्रदेश में, प्रदेशों के बीच और देशों के बीच चल ही रही है।
पानी की तरलता और सरलता की तरह ही पंकज शुक्ला विलकुल सहज ढंग से हमें पानी की गहरी से गहरी बातों में उतारते जाते हैं, उसमें डुबोते नहीं, तैराते ले जाते हैं।
इसमें पानी का ज्ञान है, पानी का विज्ञान भी है। वे हमें बताते हैं कि किस तरह पानी दो छोर जोड़ सकता है तो यह भी कि पानी का उपयोग हम दो छोर तोड़ने में भी करने लगे हैं।
कोई बताएगा कि तीसरा युद्ध पानी को लेकर होगा तो पंकज बता रहे हैं कि अरे, यह लड़ाई तो हर मुहल्ले में, हर प्रदेश में, प्रदेशों के बीच और देशों के बीच चल ही रही है।
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