विविध >> कुपोषण का समुदाय आधारित प्रबंधन कुपोषण का समुदाय आधारित प्रबंधनसचिन कुमार जैन
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कुपोषण पर चत्चा भी चल रही है और बहस भी, स्थितियाँ और परिस्थितियाँ बहुत स्पष्ट हैं...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भूख मेरे दरवाजे पर
दस्तक देती है,
बिन बुलाई मेहमान है
आती है और ठहर जाती है,
मैंने तो दरवाजा खोला ही न था
घुस आती है रिस-रिस कर
टूटी दीवार की दरारों में से,
बड़ी होती जाती है बहुत तेजी से
इतनी कि उठा लेती है
मुझे अपनी गोद में,
सहलाती है और
झूला सा झुलाती है,
मैं सो जाता उसकी आगोश में
हमेशा के लिए,
यदि रोटी आकर न कर देती
ठक ठक ठक मेरे दरवाजे पर,
दस्तक देती है,
बिन बुलाई मेहमान है
आती है और ठहर जाती है,
मैंने तो दरवाजा खोला ही न था
घुस आती है रिस-रिस कर
टूटी दीवार की दरारों में से,
बड़ी होती जाती है बहुत तेजी से
इतनी कि उठा लेती है
मुझे अपनी गोद में,
सहलाती है और
झूला सा झुलाती है,
मैं सो जाता उसकी आगोश में
हमेशा के लिए,
यदि रोटी आकर न कर देती
ठक ठक ठक मेरे दरवाजे पर,
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