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जलवायु परिवर्तन का जमीनी चेहरा

सचिन कुमार जैन

प्रकाशक : विकास संवाद प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8891
आईएसबीएन :000000000000

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हम यह देख रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर गाँव, गाँव की जमीन, संसाधनों और व्यक्तियों पर अब गहराता जा रहा है....

Ek Break Ke Baad

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

हम यह देख रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर गाँव, गाँव की जमीन, संसाधनों और व्यक्तियों पर अब गहराता जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन की गर्मी को काफी पहले से महसूस किया जा रहा है। 1972 में रियो-डि-जेनेरो में हुये विश्व पृथ्वी सम्मेलन के बाद क्योटो और बाली होते हुये हमारी सरकारें कोपेनहेगेन तक पहुँच गईं हैं।

इन 37 सालों की कवायद के बाद भी कार्बन और मिथेन गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है।

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