उपन्यास >> संकटा प्रसाद के किस्से संकटा प्रसाद के किस्सेसुधीर मौर्य
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संकटा प्रसाद के किस्से के माध्यम से व्यंग्यकार ने सामाजिक कुव्यवस्थाओं पर धारदार प्रहार किया है...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सुधीर जी जीवन के वास्तविक अनुभवों से विषय वस्तु उठाते हैं, जो सामान्य है पर उसमें विडंबना और विद्रूप है। वे व्यक्तित्वो को इन अनुभवों से गुजरते हुये देखते हैं और उनकी स्थिति और बर्ताव में जो विनोद तथा व्यंग्य होता है, उसे नपे तुले शब्दों में व्यक्त कर देते हैं। वे असाधारण की तलाश में नहीं रहते।
इसलघु उपन्यास में उन्होंने संकटाप्रसाद को केन्द्र बना कर समाज के हर कोने में ताकाझांकी कर बड़े ही करारे और तीखे किन्तु सत्य व्यंग्य किये हैं।
इसलघु उपन्यास में उन्होंने संकटाप्रसाद को केन्द्र बना कर समाज के हर कोने में ताकाझांकी कर बड़े ही करारे और तीखे किन्तु सत्य व्यंग्य किये हैं।
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