इतिहास और राजनीति >> कभी भी पराधीन नहीं रहा है भारत कभी भी पराधीन नहीं रहा है भारतरामेश्वर प्रसाद मिश्र, कुसुमलता केडिया
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हजारों साल की गुलामी के झूठ का अनावरण....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भारत का गौरवशाली इतिहास किसी भी प्रकार की आत्मग्लानि और आत्मदैन्य से मुक्त है।
सत्य-शोधन और सत्य के आग्रह की भारतीय परम्परा से दूर होते जाने तथा तथ्यों से दूर रहने की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण भारतीय वीरता की विराट धाराओं को हम विस्मृत करते जारहे हैं।
भारत की हजारों साल की गुलामी का महाझूठ हमारे मानस में रचाया बसाया जा रहा है ताकि भारत का तेजस फिर न उभर सके।
प्रयास किया जा रहा है कि इस सत्य को हम भूल ही जायें कि कभी भी पराधीन नहीं रहा है भारत।
निर्थक हीनता बोध, आत्मग्लानि, दैन्य-भाव और कुण्ठा से दूर इतिहास के सत्य को जानने के लिए पढ़िये यह पुस्तक, जो जगाएगी भारत के सत्य की स्मृति और संकल्प।
इस पुस्तक के द्वारा आप अपने अतुलनीय पूर्वजों के प्रचण्ड पराक्रम, अद्भुत बुद्धिबल और तेजस्वी आक्रामकता से परिचित होंगे एवं अपने वैभव, वीरता, गौरव और पराक्रम को आत्मसात कर सकेंगे।
सत्य-शोधन और सत्य के आग्रह की भारतीय परम्परा से दूर होते जाने तथा तथ्यों से दूर रहने की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण भारतीय वीरता की विराट धाराओं को हम विस्मृत करते जारहे हैं।
भारत की हजारों साल की गुलामी का महाझूठ हमारे मानस में रचाया बसाया जा रहा है ताकि भारत का तेजस फिर न उभर सके।
प्रयास किया जा रहा है कि इस सत्य को हम भूल ही जायें कि कभी भी पराधीन नहीं रहा है भारत।
निर्थक हीनता बोध, आत्मग्लानि, दैन्य-भाव और कुण्ठा से दूर इतिहास के सत्य को जानने के लिए पढ़िये यह पुस्तक, जो जगाएगी भारत के सत्य की स्मृति और संकल्प।
इस पुस्तक के द्वारा आप अपने अतुलनीय पूर्वजों के प्रचण्ड पराक्रम, अद्भुत बुद्धिबल और तेजस्वी आक्रामकता से परिचित होंगे एवं अपने वैभव, वीरता, गौरव और पराक्रम को आत्मसात कर सकेंगे।
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- यह पुस्तक क्यों लिखी गई ?
- पुस्तक के बारे में
- अध्याय-एक : कभी भी पराधीन नहीं रहा है भारत
- अध्याय-दो : अलिग्जेंदर के बाद का डेढ़ हजार वर्षों का गौरवशाली इतिहास
- अध्याय-तीन : सीरिया से जापान, मंगोलिया से श्रीलंका तक हजारों वर्ष रहा है हिन्दू संस्कृति का प्रभाव
- अध्याय-चार : मुस्लिम शासन कभी भी देशव्यापी नहीं था
- अध्याय-पाँच : भारत में ब्रिटिश शासन की सच्चाई
- अध्याय-छह : कैसे पाई आये भारत में थोड़े समय अंग्रेजों ने सत्ता और फिर क्यों किया उसका हस्तांतरण
- परिशिष्ट-1 : भारत में हिन्दू, मुस्लिम एवं ब्रिटिश शासन की भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अवधि (1947 ई. तक)
- परिशिष्ट-2 : प्रमुख अत्याचारियों के अत्याचारों का संकेत
- परिशिष्ट-3 : बिटिश काल में 730 स्वतंत्र भारतीय राज्यों की स्थिति
- परिशिष्ट-4 : क्लाइव और वारेन हेस्टिंग्स पर लगाये गये अभिटोगों का सार संक्षेप
- परिशिष्ट-5 : भारत में मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि तथा कुल हिन्दू जनसंख्या और राष्ट्रीय जनसंख्या में मुस्लिम प्रतिशत
- सन्दर्भ
- परिशिष्ट-6 : मानचित्रों से बोलती सच्चाई
- ग्रन्थ सूची
- अंग्रेजी ग्रन्थ सूची
अनुक्रम
विनामूल्य पूर्वावलोकन
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