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मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


दो प्रकार की हो सकती है-प्रत्यक्ष1 या परोक्ष2 (अथवा संसक्त और असंसक्त)। इस दूसरी इच्छा का अर्थ स्पष्ट करने के लिए हम एक-दो उदाहरण लेंगे। जब कोई कपाल अपने कपाकांक्षी आश्रित के लिए किसी तीसरे व्यक्ति से सिफारिश करना भूल जाता है, तब इसका यह कारण हो सकता है कि उसे उस आश्रित में, असल में, विशेष दिलचस्पी नहीं है, और इसलिए उसकी सिफारिश करने की कोई विशेष इच्छा नहीं थी। कम-से-कम आश्रित तो अपने आश्रयदाता की इस उपेक्षा को इसी दृष्टि से देखेगा। पर हो सकता है कि मामला इससे अधिक उलझा हुआ हो। अपने संकल्प पर अमल करने का विरोध किसी आश्रयदाता में किसी और कारण से, और किसी और लक्ष्य से भी हो सकता है। यह भी हो सकता है कि इसका आश्रित से कोई भी सम्बन्ध न हो, और शायद यह उस व्यक्ति से विरोध के कारण हो, जिससे सिफारिश करनी थी। यहां भी आप देखते हैं कि हमारे निकाले हुए अर्थ को व्यवहार में लागू करने पर क्या आपत्तियां हैं। गलती का ठीक-ठीक अर्थ लगा लेने के बावजूद, यह खतरा है कि आश्रित व्यक्ति बहुत अधिक सन्देही बन जाएगा, और अपने आश्रयदाता के प्रति घोर अन्याय करेगा। फिर, यदि कोई आदमी कोई ऐसा नियत कार्य भूल जाता है, जिसका उसने वचन दिया था, और जिसे पूरा करने का पूरा संकल्प किया था, तो इसका सबसे अधिक सम्भावित कारण निश्चित रूप से यही है कि उसे दूसरे व्यक्ति से मिलने की स्पष्ट अनिच्छा है; पर विश्लेषण से यह बात सिद्ध हो सकती है कि बाधाकारक प्रवृत्ति का सम्बन्ध उस व्यक्ति से नहीं था, बल्कि मिलने के स्थान से था, जिससे सम्बन्धित कुछ कष्टदायक स्मृतियों के कारण वह वहां जाने से बच गया; या यदि कोई आदमी पत्र डाक में डालना भूल जाता है, तो हो सकता है कि विरोधी प्रवृत्ति पत्र में लिखी हुई बातों से सम्बन्धित हो; परन्तु इससे यह संभावना खत्म नहीं हो जाती कि पत्र अपने-आपमें भी हानिरहित नहीं है, और यह विरोधी प्रवृत्ति का शिकार सिर्फ इस कारण हुआ है क्योंकि इसमें लिखी हुई किसी चीज़ से लेखक को पहले लिखे गए एक और पत्र का ध्यान आ गया है, जो सचमुच विरोध का सीधा कारण था। तो, यह कहा जा सकता है कि विरोध पहले पत्र से, जहां कि यह उचित था, मौजूदा पत्र को, जहां इसका असल में कोई उद्देश्य नहीं है, स्थानांतरित हो गया है। इस प्रकार, आप देखते हैं कि हमारे बिलकुल मज़बूत बुनियाद पर निकाले गए अर्थों को लागू करने में संयम और सावधानी बरतनी आवश्यक है। जो बात मनोवैज्ञानिक दृष्टि से तुल्य अर्थ वाली है, असल में उसके बहुत-से अर्थ हो सकते हैं।

यह बात आपको बड़ी अजीब लग सकती है कि ऐसी चीजें हो सकती हैं। शायद आपका झुकाव यह मानने की ओर होगा कि 'परोक्ष' विपरीतेच्छा ही किसी घटना को रोगात्मक बताने के लिए काफी है। परन्त मैं आपको यह निश्चित रूप से कह सकता हूं कि यह स्वस्थ और सामान्य व्यक्तियों में भी पाई जाती है, और फिर, मेरी बात को गलत रूप में न समझिए। मेरी बात का यह अर्थ नहीं है कि मैं यह मान रहा हूं कि हमारे विश्लेषणात्मक अर्थों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

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1. Immediate
2. Mediate

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