कविता संग्रह >> धार पर हम धार पर हमवीरेन्द्र आस्तिक
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दीप में कितनी जलन है, धूप में कितनी तपन है,यह बताएंगे तुम्हें वे, ज़िन्दगी जिनकी हवन है
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