कविता संग्रह >> धार पर हम धार पर हमवीरेन्द्र आस्तिक
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दीप में कितनी जलन है, धूप में कितनी तपन है,यह बताएंगे तुम्हें वे, ज़िन्दगी जिनकी हवन है
‘धार पर हम’ वर्तमान व्यवस्था और जनरवी मानसिकता के रिश्तों का निकष बोध है। इन निकष-बोधी गीतों के गर्भ में छिपे कर्मबीज चेहरों को पढ़ रहे हैं। मन को खंगाल रहे हैं और गुमनामी अंधेरों से पहतानों को उजाले में ला रहे हैं। संकलन में कुछ ऐसा है कि यांत्रिक/बौद्धिक दर्प सप्तस्वरी आनंद के लिए विगलित होकर बच्चों की तरह गीत मुख चूमे जा रहा है। प्रेमपगी अल्हड़ता से रूबरू होने की छटपटाहट, पुरानी तस्वीरों की गर्द हटा रही है और क्या थे, क्या हैं, क्या हौएंगे की चिन्ता से कहीं दूर गीत नाद में डूबी जा रही है।
पूरा विश्वास है कि ‘धार पर हम’ गीत नवगीत की ऐतिहासिक यात्रा में साहित्यिक संस्कृति के संरक्षण का एक अगला कदम माना जाएगा।
प्रस्तुत पुस्तक में वीरेन्द्र आस्तिक जी ने समकालीन 16 रचनाकारों की रचनाओं को संकलित किया है।
पूरा विश्वास है कि ‘धार पर हम’ गीत नवगीत की ऐतिहासिक यात्रा में साहित्यिक संस्कृति के संरक्षण का एक अगला कदम माना जाएगा।
प्रस्तुत पुस्तक में वीरेन्द्र आस्तिक जी ने समकालीन 16 रचनाकारों की रचनाओं को संकलित किया है।
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