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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....



6

सिर्फ़ बीनाई नहीं आँखों में पानी चाहिए


सिर्फ़ बीनाई नहीं आँखों में पानी चाहिए।
झील, दरिया हो तो सकती है, रवानी चाहिए।

थरथराते होठों के लफ़्ज़ों को मानी चाहिए,
एक मिसरा है अकेला एक सानी चाहिए।

जिसको दुनिया याद रक्खे वो कहानी चाहिए,
ज़िन्दगी में ‘ज़िन्दगी’ की तर्ज़ुमानी चाहिए।

बादशा बेचैन हैं दुनिया पे कब्ज़े के लिये,
हम फ़क़ीरों को दिलों पर हुक्मरानी चाहिए।

रात में सूरज उगे, दिन लेके घूमे चाँद को,
लोग क्या क्या सोचते हैं, शर्म आनी चाहिए।

कोशिशें तो कोशिशें हैं, कामयाबी के लिये,
कोशिशों के साथ उसकी मेहरबानी चाहिए।

कर लिया इक़रार दिल ने कह दिया आँखों ने हाँ,
हमको लेकिन  फ़ैसला  तुमसे  ज़बानी चाहिए।

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