गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....
आभार...
यह औपचारिकतावश नहीं बल्कि इसलिए ज़रूरी है कि मैंने तो सिर्फ़ ग़ज़लें कही हैं। बाकी संकलन को आप तक पहुँचाने में सारा काम, मुझे या मेरी ग़ज़लों को चाहने वालों ने किया है। कुछ सीमाओं के कारण उन सभी का उल्लेख कर पाना तो सम्भव नहीं है परन्तु संकलन में विशिष्ट सहयोगियों को याद न करना कृतघ्नता होगी। सबसे पहले मैं ‘राष्ट्रीय सहारा’, कानपुर के सम्पादक श्री नवोदित जी का हृदयसे आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने संग्रह के प्रकाशन में मुखिया की भूमिका निभाई और संकलन को आकार प्राप्त हुआ।
मैं इसी क्रम में भाई मुनेन्द्र शुक्ल जी का विशेष आभारी हूँ जिनकी आत्मीयता और स्नेह मेरे रचनाकार के लिए प्राणवायु जैसा है।
मैं अपनी बेटियों रूपाली, शेफाली सहित जीवन संगिनी श्रीमती स्वर्णलता का आत्मिक आभार मानता हूँ, क्योंकि इन सबके हिस्से का अधिकांश समय मैंने ग़ज़लें कहने में खर्च किया है।
मैं अनुजवत प्रिय यशस्वी गीतकार भाई देवल आशीष का बहुत आभारी हूँ जिनके निरन्तर आग्रह ने संकलन का ताना-बाना बुना है।
अन्त में देश भर के सभी सहयात्री रचनाकारों, मित्रों, प्रशंसकों, शुभचिन्तकों सहित उन सबका आभारी हूँ जिनका किंचित् भी प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष सहयोग संकलन को प्राप्त हुआ।
राजेन्द्र तिवारी
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