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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....



13

सब्र है तो निबाह कर लेगा


सब्र है तो निबाह कर लेगा।
वर्ना ग़म बेपनाह कर लेगा।।

जितनी ज़्यादा हवस बढ़ायेगा,
उतने कम ख़ैरख्वाह कर लेगा।

तू लड़ेगा अगर जो सूरज से,
अपना चेहरा सियाह कर लेगा।

तोड़ देगा वो फिर मेरी तौबा,
मेरा दिल फिर गुनाह कर लेगा।

दर्द हो जायेगा दवा जब भी,
वो ग़ज़ल से निकाह कर लेगा।

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