गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....
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चाँद का चेहरा चूम के चमका एक सितारा शाम ढले
चाँद का चेहरा चूम के चमका एक सितारा शाम ढले।
पारा-पारा दिल ने तेरा नाम पुकारा शाम ढले।।
चन्दा मामा, बुढ़िया, चरखा, सबको क्या-क्या दिखता है,
हमको लगता चाँद का चेहरा रुप तुम्हारा शाम ढले।
दुनिया ने मुँह फेर लिया तो इसमें शिकवा काहे का,
छोड़ दिया परछांई ने जब साथ हमारा शाम ढले।
कोई ख़ुश्बू आकर जाने क्या जादू कर जाती है,
झील सी आँखें हो जाती हैं सागर खारा शाम ढले।
रोज़ परिन्दे वापस उनकी बाँहों में आ जाते हैं,
पेड़ की शाख़ें जब करती हैं उनको इशारा शाम ढले।
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