गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
|
173 पाठक हैं |
तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....
34
चन्द दाने ढूंढने बस्ती से वीराने गये
चन्द दाने ढूंढने बस्ती से वीराने गये।
सुब्ह को घर से परिन्दे ज़िन्दगी लाने गये।।
साज़िशें नाकाम कर दीं ऐ हवाओं शुक्रिया,
उठ गईं रुख़ से नका़बें लोग पहचाने गये।
घायलों से कितनी हमदर्दी थी उनको दोस्तों,
थैलियाँ लेकर नमक की ज़ख़्म सहलाने गये।
भूल हमसे हो गई या तुमसे नादानी हुई,
वर्ना कैसे महफ़िलों तक अपने अफ़साने गये।
यूँ न जाओ गाँव अपना छोड़कर पछताओगे,
लोग काफी दूर तक हमको ये समझाने गये।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book